एसीबी के पूर्व डीआईजी विष्णु​कांत पर 10 लाख की रिश्वत लेने की एफआईआर दर्ज

एसीबी के पूर्व डीआईजी विष्णु​कांत पर 10 लाख की  रिश्वत लेने की  एफआईआर दर्ज

जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के एक मामले में अपने पूर्व डीआईजी विष्णु कांत, एक हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।दर्ज की गयी प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि विष्णु कांत जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के उप महानिरीक्षक थे तो एसीबी ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह से उनके कांस्टेबल भाई प्रताप सिंह के माध्यम से मार्च 2022 में 9.5 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.

साढ़े नौ लाख रुपये की यह कथित रिश्वत रिश्वतखोरी के एक अन्य मामले से सरदार सिंह का नाम हटाने के लिए ली गयी थी. रिश्वतखोरी के जिस मामले में सरदार सिंह से उनका नाम हटाने के लिए पैसे लिये गये थे उस मामले में उन्हें अक्टूबर 2021 में एक अन्य कांस्टेबल के साथ गिरफ्तार किया गया था. जयपुर के जवाहर सर्कल थाने में तैनात हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल लोकेश को अक्टूबर 2021 में सत्यपाल पारीक की शिकायत के बाद ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए पकड़ा था.

प्राथमिकी के अनुसार जांच अधिकारी ने कांस्टेबल लोकेश के खिलाफ आरोपों को सही पाया और अदालत में मुकदमा चलाने की सिफारिश की. लेकिन उन्होंने (जांच अधिकारी) ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह के खिलाफ सबूत न होने के कारण उनका नाम मामले से हटाने की सिफारिश की.

प्राथमिकी के मुताबिक यह फ़ाइल तत्कालीन उप महानिरीक्षक विष्णु कांत को भेजी गई, जिन्होंने इसे राय के लिए उप निदेशक (अभियोजन) के पास भेज दिया. उप निदेशक (अभियोजन) ने फाइल देखने के बाद कहा कि हेड कांस्टेबल सरदार सिंह की संलिप्तता दिखाई दे रही है और जांच कार्यालय के साथ चर्चा के बाद निर्णय लिया जाना चाहिए. विष्णु कांत ने जांच अधिकारी से परामर्श किए बिना लोकेश के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने का फैसला किया और सरदार सिंह का नाम हटाने की सिफारिश की. इस बीच, सरदार सिंह ने अपने भाई एवं विष्णुकांत के बीच कथित बातचीत वाले ऑडियो क्लिप समेत कई ऑडियोक्लिप शिकायतकर्ता सत्यपाल पारीक को भेजी और कहा कि उनका नाम प्राथमिकी से हटा दिया गया है.

शिकायतकर्ता ने सभी ऑडियो क्लिप डीजीपी को भेज दिये . डीजीपी ने उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेज दिया. शुरुआती जांच के बाद ब्यूरो ने विष्णुकांत, सरदार सिंह और प्रताप सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया.


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