राजस्थान यूनिवर्सिटी में बवाल : नोटों की मालाओं के बीच लाठीचार्ज, कैंपस में तनाव

राजस्थान यूनिवर्सिटी में बवाल : नोटों की मालाओं के बीच लाठीचार्ज, कैंपस में तनाव
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जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय में बुधवार को छात्रों का उबाल उस वक्त हिंसा में बदल गया, जब प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। पिछले कई दिनों से मार्किंग की गड़बड़ियों और रिवैल्युएशन फीस को लेकर हो रहा गुस्सा अचानक फूट पड़ा। इस दौरान कई छात्रों को हिरासत में लिया गया और कैंपस का माहौल देर तक तनावपूर्ण बना रहा। एक नंबर की टीस और हजारों युवाओं की नाराजगी छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जानबूझकर गलत मार्किंग कर रहा है। कई छात्रों को सिर्फ एक नंबर से फेल कर दिया गया है और उसके बाद रिवैल्युएशन के नाम पर हजारों रुपये वसूलने की कोशिश की जा रही है।यह सिर्फ मार्कशीट का मामला नहीं—यह उन छात्रों के सपनों, भविष्य और उनके करियर की सीधी चोट है।

गुस्से में आए छात्रों ने विरोध जताने का एक अनूठा तरीका चुना—नोटों की माला पहनकर प्रदर्शन। उनका कहना था—“अगर मार्किंग पैसे से ही सुधरती है तो ये लो हमारी माला। ले लो, लेकिन हमारा भविष्य मत बर्बाद करो।”

कई छात्रों का आरोप है कि उन्हें अगले सेमेस्टर में प्रमोट नहीं किया जा रहा, जिससे उनका करियर अधर में लटक गया है।

कुलगुरु कार्यालय के बाहर रात भर का धरना

मंगलवार रात छात्र कुलगुरु कार्यालय के सामने बैठे रहे। रात भर की ठंड, अनिश्चितता, और आक्रोश के बीच यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन बुधवार सुबह जैसे ही भीड़ बढ़ी, माहौल बदल गया। छात्रों ने प्रशासनिक घेराव की कोशिश की और पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया।

लाठीचार्ज और अफरा–तफरी

जैसे ही छात्रों को तितर-बितर करने का आदेश मिला, पुलिस ने लाठियां भांजना शुरू कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, यह कार्रवाई बेहद तेज और अंधाधुंध थी। पुलिस ने यह देखने की कोशिश भी नहीं की कि भीड़ में कौन है—लड़के, लड़कियां या अभिभावक।

महिला छात्रों के आरोप

कई छात्राओं ने आरोप लगाया कि पर्याप्त महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बिना ही पुरुष पुलिसकर्मी उनसे भिड़ गए। धक्का-मुक्की और खींचतान की शिकायतें सामने आईं।अभिभावकों का कहना है कि—“बच्चे अपनी पढ़ाई और भविष्य की बात कर रहे थे, और पुलिस ने उन्हें अपराधी की तरह पीट दिया।”

प्रशासन और पुलिस दोनों खामोश

सबसे चौंकाने वाली बात—विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस, दोनों ने ही मार्किंग की कथित गड़बड़ियों या लाठीचार्ज के दौरान हुई बदसलूकी पर कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है।

कैंपस में अभी भी तनाव है, छात्रों का आक्रोश कम नहीं हुआ है, और सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं।

विश्लेषण: क्या शिक्षा संस्थान अब छात्रों की आवाज सुनने में असफल हो रहे हैं?

राजस्थान यूनिवर्सिटी जैसी प्रतिष्ठित संस्था में ऐसे हालात यह सवाल खड़ा करते हैं कि:

क्या छात्रों की शिकायतें सिर्फ नोटिस बोर्ड और ईमेल तक सीमित हैं?

क्या विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी जवाबदेही से बच रहा है?

क्या पुलिस को हर छात्र आंदोलन ‘कानूनी व्यवस्था का संकट’ ही दिखाई देता है?

जब युवा अपनी पढ़ाई और भविष्य को लेकर सवाल पूछते हैं, तो उन्हें संवाद चाहिए—लाठी नहीं।और यह घटना एक बड़े संकट की ओर इशारा करती है—शिक्षा व्यवस्था में बढ़ती अविश्वसनीयता और संवादहीनता।

कैंपस का माहौल अभी भी गर्म है। छात्रों की नाराजगी सिर्फ मार्किंग तक सीमित नहीं—यह भरोसे की लड़ाई है।जब नोटों की माला पहनकर छात्र विश्वविद्यालय पहुंचते हैं, तो यह सिर्फ प्रदर्शन नहीं—यह शिक्षा व्यवस्था पर अविश्वास की सबसे कड़वी तस्वीर है।

अब गेंद प्रशासन और पुलिस के पाले में है। युवाओं के सवालों का जवाब देना ही होगा—वरना यह आक्रोश और बढ़ेगा।

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