गहलोत का तीखा वार: नए नगर निगमों का विलय राजस्थान को फिर से बीमारू बनाने वाली सोच

गहलोत का तीखा वार: नए नगर निगमों का विलय राजस्थान को फिर से बीमारू बनाने वाली सोच
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जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्तमान भाजपा सरकार के प्रशासनिक निर्णयों पर तीखा हमला बोला है। गहलोत ने कांग्रेस सरकार द्वारा शहरों के बेहतर विकास और रखरखाव के लिए बनाए गए नए नगर निगमों (जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो निगमों का विलय कर एक करना) को खत्म करने के फैसले को "बेहद अदूरदर्शी एवं राजनीतिक स्वार्थ से लिया गया फैसला" करार दिया है। पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने पहले 9 नए जिलों को खत्म किया और अब 3 नगर निगमों का विलय कर दिया, जो प्रदेश के भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। गहलोत ने इस विलय के फैसले को प्रशासनिक नियंत्रण और विकास की बेहतर क्रियन्विति के विपरीत बताया। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण दिए: अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत: गहलोत ने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा वर्ष 2000 में बनाए गए 3 नए राज्यों (छत्तीसगढ़, उत्तराखंड एवं झारखंड) ने 25 वर्षों में अपने मूल बड़े राज्यों की तुलना में विकास के पैमानों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य साबित करता है कि छोटी प्रशासनिक इकाइयों से विकास बेहतर होता है। बेंगलुरु का मॉडल: उन्होंने बेंगलुरु का उदाहरण दिया, जिसकी आबादी लगभग डेढ़ करोड़ हो चुकी है। शहर के विस्तार को देखते हुए, वहां की नगर निगम (बृहद बेंगलुरू महानगर पालिका) को 5 अलग-अलग नगर निगमों में विभाजित कर दिया गया है, ताकि हर निगम के पास कम प्रशासनिक क्षेत्र हो और विकास कार्य बेहतर ढंग से हो सके।

गहलोत ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने यह फैसला शहरी विकास के विशेषज्ञों की राय लेकर किया था। उन्होंने कहा कि जयपुर की आबादी अब 60 लाख के पार जा चुकी है, और केवल एक नगर निगम से यहां का प्रबंधन बेहद मुश्किल है। यही स्थिति कमोबेश जोधपुर और कोटा की भी है, जिनका विस्तार बेहद तेजी से हो रहा है।

उन्होंने भाजपा सरकार पर राजनीतिक कारणों से निगमों को भंग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "यदि हमारे इस फैसले में कोई कमी थी तो उसे दूर करने का प्रयास कर इसे बेहतर करना चाहिए था, परन्तु इन नगर निगमों को केवल राजनीतिक कारणों से विलय करना उचित नहीं है।" गहलोत ने अंत में तीखा निष्कर्ष निकाला: "भाजपा की सोच राजस्थान को बीमारू प्रदेश बनाने की लगती है, अन्यथा कोई भी प्रगतिशील सरकार ऐसी सोच नहीं रखेगी।"

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