बिना परमिट गाड़ी चलाने पर नहीं लगेगी पेनल्टी:प्रदूषण फैलाने पर 15 लाख रुपए जुर्माना, मिलावट करने पर अब नहीं होगी जेल

बिना परमिट गाड़ी चलाने पर नहीं लगेगी पेनल्टी:प्रदूषण फैलाने पर 15 लाख रुपए जुर्माना, मिलावट करने पर अब नहीं होगी जेल
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जयपुर। केंद्र की तर्ज पर अब राजस्थान में भी ‘जनविश्वास कानून’ लागू होगा। इसके लिए प्रदेश के कई विभागों की कानूनी धाराओं में संशोधन वाले राजस्थान जन विश्वास अध्यादेश 2025 के प्रारूप को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके तहत कई कानून ऐसे हैं, जिनमें मामूली क्राइम पर भी बड़ी सजा मिलती थी। ऐसे मामलों में अब केवल पेनल्टी लगाई जाएगी।

पहले जुर्माना भरने के लिए कानूनी तरीके से कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते थे। अब संबंधित विभाग के कार्यपालक अधिकारी को ही पेनल्टी वसूलने का अधिकार मिलेगा। इससे बिजनेसमैन से लेकर आम आदमी को भी कई तरह के जुर्मानों से राहत मिलेगी।

जल्द ही राजस्थान जन विश्वास विधेयक (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश 2025 को विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह बिल, प्रक्रिया के तहत पारित हुआ तो कानून बनेगा और लागू होगा।

इस विधेयक के अहम प्रावधान क्या हैं? केंद्र की तर्ज पर प्रदेश में क्या लागू होगा? आमजन को कैसे फायदा मिलेगा?

सबसे पहले पढ़िए, आम जनता से जुड़े नए प्रावधान क्या होंगे

मध्य प्रदेश में केंद्र की तर्ज पर जन विश्वास एक्ट 2024 विधानसभा में पेश हो गया था। माना जा रहा है राजस्थान में भी उसी तर्ज पर संशोधन किए जा रहे हैं। इसमें आम लोगों को राहत देने वाले कई महत्वपूर्ण बदलाव हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के दोनों एक्ट, नगर पालिका अधिनियम 1961 और नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की 40 धाराओं के प्रावधान को बदला जाएगा। इन धाराओं में जुर्माने की जगह पेनल्टी शब्द जोड़ा जाएगा।

टैक्स संबंधी जानकारी छुपाने पर 1 हजार रुपए की पेनल्टी।

गलत जानकारी देने पर भू-स्वामी पर 1 हजार रुपए की पेनल्टी को बढ़ाया जाएगा।

नगर निगम आयुक्त अथवा मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अनुमति के बिना पानी की निकासी का रास्ता बदलने पर पेनल्टी 500 से बढ़ाकर 5000 रुपए।

मेन पाइप लाइन से अवैध नल कनेक्शन करने पर पेनल्टी 500 से बढ़ाकर 5000 रुपए की जा सकती है।

अवैध तरीके से भवन निर्माण करने पर 5 हजार के जुर्माने को और बढ़ाया जाएगा।

बिना अनुमति पेड़ काटने पर जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 5 हजार प्रस्तावित।

ड्राइवर : पहली बार गलती तो जुर्माना नहीं

राजस्थान में जन विश्वास बिल 2025 में मोटर वाहन कानून के 20 प्रावधानों में बदलाव हो सकते हैं। बिल में दिए गए प्रस्ताव के अनुसार, अभी मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 192 ए के तहत 6 महीने की जेल और 10 हजार रुपए का जुर्माना लगता है। संशोधन के बाद 6 महीने तक जेल की सजा तो होगी, लेकिन जुर्माना नहीं देना होगा।

किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन उसी राज्य में न कराकर किसी भी राज्य में करा सकेंगे। लाइसेंस की अवधि खत्म होने के 30 दिन बाद तक लाइसेंस रिन्यू करा सकेंगे।

मिलावट खोरी : सजा आधी, जुर्माना तीन गुना

अभी मिलावटखोरी पकड़े जाने पर 6 महीने तक जेल की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगता है।

संशोधन के बाद 3 महीने से ज्यादा जेल की सजा नहीं होगी, लेकिन 3 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा।

बिना परमिशन सामान बेचते पकड़े जाने पर जेल नहीं

ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर बिना परमिट के सामान बेचते हुए पकड़े जाने पर जेल नहीं होगी।

भ्रामक और गलत जानकारी देने पर किसी व्यक्ति को जेल नहीं जाना होगा। उसे केवल जुर्माना देना होगा।

जंगल के कई कानून बदलेंगे : मवेशी चराने पर सजा नहीं होगी

राजस्थान वन अधिनियम-1953 में धारा 26 (1) (ए) में वन भूमि में मवेशी चराने पर 6 माह तक सजा या 500 रुपए तक जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान था। संशोधन के बाद अब इस उल्लंघन पर जुर्माना ही लगाया जाएगा। इससे आदिवासियों और ग्रामीणों को फायदा होगा, जो अनजाने में मवेशी चराते हुए वन भूमि में प्रवेश कर जाते हैं।

जंगल से लकड़ी काटने या वन संपदा को नुकसान पहुंचाने पर अब सजा नहीं होगी। अब सजा की जगह 5 हजार रुपए पेनल्टी का प्रावधान किया है।पहले छह महीने की सजा का प्रावधान था।

जन विश्वास कानून में पेड़ काटने पर जुर्माना 10 गुना तक बढ़ाया जाएगा। काश्तकारी अधिनियम के तहत पेड़ काटने पर पहली बार 100 रुपए और दूसरी बार में 200 रुपए का जुर्माना था। पहली बार पेड़ काटने पर जुर्माना 100 से बढ़ाकर 1000 रुपए और दूसरी बार पेड़ काटने पर 2000 रुपए जुर्माना लगेगा।

उद्योग जगत को राहत : बिजली का रिकॉर्ड नहीं रखा तो सिर्फ पेनल्टी लगेगी

कोई कंपनी या उद्योग अपनी फैक्ट्री में बिजली सप्लाई के लिए कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी) का इस्तेमाल करती है तो उनको कई कानूनों में राहत दी गई है। मौजूदा प्रावधान यह है कि सीपीपी से कितने यूनिट बिजली उत्पादन हुआ, कितना खर्च हुआ, इसका पूरा रिकॉर्ड रखना जरूरी है। रिकॉर्ड मेंटेन नहीं करने पर 2 हजार से लेकर 5 हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाता है। नियमानुसार जुर्माने को कोर्ट में भरना पड़ता है।

नए प्रावधान में एकमुश्त 5 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जाएगी। पेनल्टी कोर्ट में भरने की बजाय विभाग के कार्यपालक अधिकारी को जमा कराई जा सकेगी।

राजस्थान राज्य सहायता (उद्योग) अधिनियम-1961 में बही-खाते, खाते या अन्य दस्तावेज निरीक्षण के लिए नहीं देने पर जेल का प्रावधान था। इन आपराधिक प्रावधानों को अब अधिनियम से हटाकर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

इसी तरह उद्योगों में श्रम सहित राजस्व से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने और सजा के प्रावधान को पेनल्टी में बदला जाएगा।

फैक्ट्री से वायु प्रदूषण फैलने पर अभी भारी जुर्माने के साथ 6 साल तक जेल का प्रावधान है। अब संशोधन के बाद जेल की सजा का प्रावधान हटाकर 15 लाख रुपए जुर्माना लगेगा।

एक साल से अटका था विधेयक का ड्राफ्ट

राजस्थान जन विश्वास बिल के ड्राप्ट के लिए विधि विभाग एक साल से काम कर रहा था। इसके लिए विधि विभाग ने संबंधित विभागों से सुझाव भी मांगे थे। विधि विभाग की तत्कालीन विशिष्ट शासन सचिव अल्का गुप्ता ने 3 रिमाइंडर भेजे थे। सभी विभागों को 8 मई, 2025 तक सुझाव देने के लिए लिखा गया था। वित्त, गृह और कार्मिक विभाग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। बाद में चौथे रिमाइंडर के बाद इन विभागों ने कुछ सुझाव दिए। इसके बाद ड्राफ्ट को विधेयक का रूप दिया गया। ये विधेयक केंद्र के जन विश्वास अधिनियम 2023 से प्रेरित है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त किया गया है।

एमपी, गुजरात और महाराष्ट्र में लागू

राजस्थान से पहले मध्य प्रदेश में 2024 में इसे विधानसभा में पेश किया गया था। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों ने कानून बना दिया है। माना यही जा रहा है कि बीजेपी शासित सभी राज्यों में इसे लागू किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने बिल के बारे में कहा था कि इससे आमजन को राहत मिलेगी। इसके तहत विभागों को ही पेनल्टी लगाने का अधिकार मिल जाएगा। अब राज्य सरकार कितने विभागों को इसके दायरे में लाती है, इसकी जानकारी विधानसभा में बिल पेश होने पर ही मिल सकेगी। माना जा रहा है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की तर्ज पर ही यह विधेयक लागू करना चाहती है।

मुख्य सचिव ने दिए थे संकेत

राजस्थान के नए मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास ने सचिवालय स्थित अपने कक्ष में पदभार संभालने के बाद बिल को लाने के संकेत दिए थे। मुख्य सचिव ने कहा था कि केंद्र की तर्ज पर ही जन विश्वास बिल लाया जाएगा।

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