अजमेर में मिट गया सात अजूबों का नाम: 12 करोड़ की लागत से बना सेवन वंडर्स पार्क पर चला बुलडोजर

अजमेर में मिट गया सात अजूबों का नाम: 12 करोड़ की लागत से बना सेवन वंडर्स पार्क पर चला बुलडोजर
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अजमेर, : राजस्थान के अजमेर में बना विश्व प्रसिद्ध सात अजूबों की प्रतिकृतियों वाला सेवन वंडर्स पार्क अब इतिहास बनने की कगार पर है। शुक्रवार सुबह से ही अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) और जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इस पार्क में बनीं विश्व की सात प्रतिष्ठित संरचनाओं की प्रतिकृतियों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। इस कार्रवाई के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें भारी मशीनों द्वारा इन संरचनाओं को ध्वस्त किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने पहले इस पार्क को हटाने का आदेश दिया था, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू हुई। यह खबर न केवल अजमेर के निवासियों, बल्कि पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए भी हैरान करने वाली है।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश और प्रशासन की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2025 में अजमेर के इस चर्चित सेवन वंडर्स पार्क को हटाने का आदेश जारी किया था। कोर्ट के इस आदेश के पीछे कई कारण बताए गए, जिनमें पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन और अनधिकृत निर्माण शामिल थे। कोर्ट ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बने इस पार्क को हटाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे। इसके बाद अजमेर विकास प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण के लिए टेंडर जारी किया, लेकिन केवल एक कंपनी ने बोली लगाई, जिसके चलते पहला टेंडर निरस्त करना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी पर नाराजगी जाहिर की थी। फरवरी 2025 में हुई सुनवाई में स्मार्ट सिटी की सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) और नगर निगम आयुक्त द्वारा दायर हलफनामे को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। कोर्ट ने प्रशासन को 17 सितंबर 2025 तक पार्क को पूरी तरह हटाने का अंतिम आदेश दिया। इस समयसीमा को पूरा करने के लिए प्रशासन ने शुक्रवार को बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया।

11.64 करोड़ की लागत से बना था यह पार्क

सेवन वंडर्स पार्क अजमेर की स्मार्ट सिटी परियोजना का एक हिस्सा था, जिसे 11.64 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। इस पार्क में विश्व के सात अजूबों की हूबहू प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, जो पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण थीं। इनमें भारत का ताजमहल, पेरिस का एफिल टावर, मिस्र के पिरामिड, इटली की पीसा की झुकी मीनार, रोम का कोलोसियम, न्यूयॉर्क का स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, और रियो डी जनेरियो का क्राइस्ट द रिडीमर शामिल थे। यह पार्क न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक लोकप्रिय गंतव्य था।

क्यों लिया गया ध्वस्तीकरण का फैसला?

सेवन वंडर्स पार्क के निर्माण के समय से ही यह विवादों में रहा। पर्यावरण विशेषज्ञों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना पर सवाल उठाए थे। उनके अनुसार, पार्क का निर्माण पर्यावरण नियमों का पालन किए बिना किया गया था। इसके अलावा, कुछ लोगों ने इसे अनधिकृत निर्माण करार देते हुए इसकी वैधता पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद पार्क को हटाने का आदेश दिया।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की परियोजनाओं को शुरू करने से पहले सभी आवश्यक अनुमतियां और पर्यावरणीय मंजूरी लेना अनिवार्य है। पार्क के निर्माण में इन नियमों की अनदेखी को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया।

स्थानीय लोगों और पर्यटकों में निराशा

इस पार्क के ध्वस्त होने से अजमेर के स्थानीय निवासियों और पर्यटकों में निराशा का माहौल है। कई लोगों का मानना है कि यह पार्क शहर की शान था और इसे हटाने के बजाय इसके नियमितीकरण के लिए कदम उठाए जा सकते थे। एक स्थानीय निवासी रमेश शर्मा ने कहा, "यह पार्क हमारे लिए गर्व की बात था। बच्चे, पर्यटक और परिवार इसे देखने आते थे। इतनी बड़ी लागत से बने इस पार्क को बचाने की कोशिश होनी चाहिए थी।"

वहीं, कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। उनके अनुसार, नियमों की अनदेखी कर बनाए गए किसी भी निर्माण को बख्शा नहीं जाना चाहिए। पर्यावरण कार्यकर्ता अनिल मेहता ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। यह एक सबक है कि पर्यावरण और नियमों का पालन करना कितना जरूरी है।"

क्या होगा भविष्य में?


सेवन वंडर्स पार्क के ध्वस्त होने के बाद अब इस जगह का भविष्य क्या होगा, यह एक बड़ा सवाल है। प्रशासन ने अभी तक इस स्थान के भविष्य के उपयोग को लेकर कोई स्पष्ट योजना नहीं बताई है। कुछ लोगों का सुझाव है कि इस जगह पर हरित क्षेत्र या सामुदायिक पार्क विकसित किया जा सकता है, जो पर्यावरण के अनुकूल हो और शहर की सुंदरता को बढ़ाए।

स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत अजमेर में कई अन्य परियोजनाएं भी चल रही हैं, और प्रशासन का कहना है कि वह भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए सतर्क रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कोई भी नई परियोजना नियमों और पर्यावरणीय मानकों का पालन करते हुए शुरू की जाए।

अजमेर का सेवन वंडर्स पार्क, जो कभी शहर का गौरव था, अब बुलडोजर की भेंट चढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। जहां एक ओर यह पार्क पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था, वहीं दूसरी ओर इसके निर्माण में हुई अनियमितताओं ने इसे विवादों में ला दिया। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस स्थान का भविष्य कैसे तय करता है और क्या यह शहर के लिए एक नई शुरुआत होगी।

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