एनजीटी ने मंदिर और स्कूल के आसपास खनन पर लगाई रोक, दिए पर्यावरण व प्रभावित ग्रामीणों की सुरक्षा के निर्देश

एनजीटी ने मंदिर और स्कूल के आसपास खनन पर लगाई रोक, दिए  पर्यावरण व प्रभावित ग्रामीणों की सुरक्षा के निर्देश
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जयपुर। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कोटपूतली जिले के जोधपुरा गांव में मंदिर और स्कूल के 500 मीटर के दायरे में खनन और विस्फोट पर रोक लगा दी है। एनजीटी ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि पर्यावरण संरक्षण और मानव व पशु जीवन की सुरक्षा को आर्थिक विकास से ऊपर रखा जाएगा।




एनजीटी ने कहा कि उद्योग और खनन की गतिविधियों के दौरान यदि पर्यावरण और मानव जीवन में टकराव पैदा होता है, तो हमेशा पर्यावरण को प्राथमिकता दी जाएगी। न्यायाधिकरण ने खान निदेशालय और जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि उद्योगों द्वारा जमा की जाने वाली कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) राशि को प्रभावित ग्रामीणों के स्वास्थ्य, सुविधाओं और पुनर्वास पर खर्च किया जाए।

साथ ही एनजीटी ने सीमेंट कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि खनन और क्रशर संचालन के कारण स्थानीय भवनों में आई दरारों और प्रदूषण के लिए जिला प्रशासन को 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति जमा करनी होगी, जिसमें 20 हजार रुपए सीधे प्रभावित परिवारों को दिए जाएंगे।

यह आदेश कोटपूतली जिले के जोधपुरा गांव की संघर्ष समिति द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर आया, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों ने खनन के विस्फोट और क्रशर संचालन के कारण उनके घरों और पर्यावरण पर हो रहे नुकसान के खिलाफ न्याय की मांग की थी।

एनजीटी ने सीमेंट कंपनी को यह निर्देश भी दिए हैं कि:

* क्षेत्र में पेड़ ऐसे लगाए जाएं जिनमें से 95 प्रतिशत जीवित रहने की संभावना हो।

* क्रशर केवल खातेदारी भूमि का कन्वर्जन होने के बाद ही चलाया जा सकता है।

* भविष्य में खनन ब्लास्ट इस तरह से न किए जाएं जिससे लोगों की सुरक्षा पर खतरा पैदा हो।

* सुरक्षा मानकों की निगरानी के लिए संस्थाएं कानूनी प्रावधानों के अनुसार सख्ती से कार्रवाई करें।

एनजीटी के प्रमुख निर्देश:

* घर, मंदिर, कार्यालय और स्कूल के 500 मीटर के दायरे में खनन के लिए विस्फोट नहीं होंगे।

* खनन गतिविधियों के विस्फोट केवल दिन में ही होंगे, रात में नहीं।

* खनन के कारण स्थानीय नागरिकों की दिनचर्या प्रभावित नहीं हो।

* खनन क्षेत्र में फ्लड लाइट और ध्वनि निर्धारित मानकों के भीतर हो।

* मुख्य सचिव प्रभावितों के पुनर्वास के लिए टीम बनाए।

* स्थानीय नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाए, इसके लिए सीएसआर राशि का उपयोग।

* खनन क्षेत्र के आसपास भूजल रिचार्ज की व्यवस्था हो, जिसमें केंद्रीय भूजल प्राधिकरण तकनीकी मदद दे।

* ग्रामीणों को मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई जाएं, सीएसआर राशि से।



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