आयोडीन युक्त बताकर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है साधारण नमक

घटिया नमक को अच्छी क्वालटी का बता कर लोगो के स्वास्थ्य के साथ ही खिलवाड़ नहीं किया जा रहा हे बल्कि सरकार को भी करोड़ो का चुना लगाने की बात सामने आई हे और ये सब कुछ हो रहा हे नावां सिटी में बनने वाले साधारण नमक को आयोडीन युक्त बताकर बेचा जाने से । यह नमक सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों को भी वितरित किया जाता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता की सही तरीके से जांच नहीं की जा रही। अधिकारियों की लापरवाही और व्यापारियों की मिलीभगत के कारण यह मामला लंबे समय से चल रहा था, लेकिन अब प्रशासन ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार अधिक उत्पादन और अधिक मुनाफे के लालच में स्थानीय उद्यमी साधारण नमक में आयोडीन की मात्रा नहीं मिला रहे हैं, जिसकी कमी से लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमानुसार खाने के नमक में 15 से 30 पीपीएम आयोडीन की मात्रा होनी चाहिए, लेकिन नावां के नमक में यह मानक पूरा नहीं किया जा रहा। जब इस संबंध में शिकायत की जाती है तो अधिकारी केवल कागजी कार्रवाई कर मामले को दबा देते हैं। नमक व्यापारियों से मिलीभगत कर पहले से तैयार पैकिंग का नमूना लिया जाता है, जिससे सही जांच नहीं हो पाती।
गत महीने रेलवे ने नावां और गुजरात के हल्बध क्षेत्र से भेजे जा रहे नमक की गुणवत्ता को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने जब जांच की तो पाया गया कि नमक में आयोडीन नाममात्र ही था। इसके बाद रेलवे ने व्यापारियों पर भारी जुर्माना लगाया। हालांकि उद्यमियों ने रेलवे और अधिकारियों से सांठगांठ कर इस नमक को D कैटेगरी में परिवर्तित कर दिया, जिससे रेलवे को अधिक किराया मिलने लगा और व्यापारियों को भारी मुनाफा।
डीडवाना-कुचामन के अतिरिक्त जिला कलेक्टर महेंद्र मीणा को स्थानीय व्यापारियों ने लिखित शिकायत देकर बताया कि नावां में बनने वाले नमक में आयोडीन नहीं मिलाया जा रहा है। साथ ही रेलवे अधिकारी C कैटेगरी के नमक को D कैटेगरी में दिखाकर परिवहन कर रहे हैं।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर महेंद्र कुमार मीणा ने इस बारे में कहा कि नमक में आयोडीन न मिलाने और श्रेणी परिवर्तन कर परिवहन करने को लेकर हमने रेलवे के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है। साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सभी फैक्ट्रियों से नमूने लेकर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। जैसे ही रिपोर्ट आएगी, दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र ने बताया कि नमक उत्पादन इकाइयों की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद जल्दी ही उचित कदम उठाए जाएंगे।
गौरतलब है कि शरीर में आयोडीन की कमी से गला बढ़ना (गॉयटर), मानसिक विकास में कमी, हाइपोथायरायडिज्म, नवजात शिशुओं में बौद्धिक अक्षमता जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि खाने के नमक की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए ताकि आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो।