सेलागुडा रात्रि चौपाल में कलेक्टर से सालम सागर भरने की मांग
राजसमंद( राव दिलीप सिंह)केन्द्र सरकार ने पानी की दिक्कत से निपटने के लिए अलग से जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया। वही सरकार जल संरक्षण के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर परम्परागत जल स्त्रोतो का सुदृढ़ीकरण कर रही है। नरेगा के तहत छोटे मोटे तालाबों पर मिट्टी आदि डालकर भराव क्षेत्र को अतिक्रम से मुक्त किया जा रहा है। वही उपखण्ड़ मुख्यालय आमेट से करीब चार किमी दूर काजीगुड़ा मार्ग पर स्थित सालम सागर जिम्मेदारो की लापरवाही के आंसू रो रहा है। करीब 47 वर्ष पूर्व बना सालम सागर आमेट के लिए पेयजल की समस्या से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। सालम सागर के बहाव क्षेत्र में जगह जगह अवरोद्ध लग गए है। पुरे तालाब में कंटिली झाड़िया उग गई है। तालाब केवल दिखावा मात्र रह गया है। करीब 5 मीटर भराव क्षमता वाले इस तालाब का भराव क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र में होने से इसमे अच्छी मात्रा में पानी भरा जा सकता है। इस पानी को आमेट, सेलागुड़ा, चतरपुरा, काजीगुड़ा में पेयजल के लिए उपयोग किया जा सकता है।
बिपरजोय के बाद भी तालाब में मात्र दो फीट पानी
गत वर्ष जिले में बिपरजॉय तूफान के कारण सभी जलाशय लबालब हो गए थे।ताल तलैया पानी से लबालब होकर आॅवर फलो हो गए लेकिन 5 मीटर भराव क्षमता वाले इस तालाब में पैदा भी नहीं ढका था। तालाब के भराव क्षेत्र में बंबूल आदि इतनी बड़े हो गए कि पास में जाने के बाद भी पता नही चलता की यहां इतना बड़ा तालाब है।
दिल्ली तक शिकायत पर भी अधिकारियों ने की लीपापोती
नगर वासियों की ओर से जल शक्ति मंत्रालय को सलाम सागर की बदहाली के बारे में लिखा गया। जहा से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने लीपापोती कर दी।
निर्माण के बाद दो बार ही भरा
जानकारी के अनुसार सालम सागर का निर्माण वर्ष 1973 में हीरालाल देवपुरा के कार्यकाल में हुआ। वर्ष 1975 व 1976 में सालम सागर पानी से पुरा भरा एवं चाद्दर चली थी। इसके बाद तालाब के भराव क्षेत्र में कतिपय लोगो ने कब्जे कर लिए। सार संभाल के अभाव में पुरे तालाब में कटिली झाड़िया उग गई। तालाब का निमार्ण आकर्षक रूप से किया हुआ है। वही निमार्ण पुरी गुणवक्ता युक्त भी है। पानी की चाद्दर के पीछे कटाव को रोकने के लिए अलग अलग कुण्ड़ बनाये गये। इसके निमार्ण पर आज से करीब 47 वर्ष पुर्व लाखो रूपये खर्च किये लेकिन अभी भी जनता को इसका फायदा नही मिल रहा। तालाब पिछले 42 वर्षो में एक बार भी पुरा नही भर पाया है।
नालो से हटे अवरोध
सालम सागर में गिरने वाले पानी के नालो में कतिपय लोगो ने अतिक्रम कर अवरोद्ध बना दिया है। तालाब का भराव क्षेत्र करीब एक किमी लम्बा है। जो सेलागुड़ा के निकट निकल रही रेल लाईन को छूता है। अगर तालाब के भराव एवं बहाव क्षेत्र से अतिक्रम हटा दिये जाए तो बदहाल सालम सागर के दिन फिर सकते है।
बन सकता पर्यटन पोईंट
आमेट के चन्द्रभागा नदी पर वेवर महादेव एनिकट में बरसात के बाद करीब एक माह में पानी सुख जाता है। अगर सालम सागर पानी से पुरा भरने लग जाए तो यहां के पहाड़ी क्षेत्र एवं प्राकृतिक नजरे के कारण पर्यटन पोईंट बन सकता है। इससे आमेट एवं आस पास के लोगो को अपनी पिकनिक मनाने के लिए दूर नही जाना पड़ेगा।
इनका कहना
इस तालाब के भरने से आमेट के लिए सरदारगढ़ एवं बाघेरी से पानी लाने में काफी राहत मिल सकती है। जिम्मेदार प्रशासन को तालाब के बहाव एवं भराव क्षेत्र से अतिक्रम हटाने चाहिए। जनता की सुविधा के लिए इसके निर्माण पर लाखो रूपये खर्च हुए लेकिन तालाब के खाली पड़ा रहने से इसका फायदा किसी को भी नही मिल पर रहा है। धर्मेश छीपा, सामाजिक कार्यकर्ता, आमेट
इनका कहना :- सेलागुड़ा में रात्रि चौपाल के दौरान सालम सागर को भरने व अन्य मांगो सहित 11 सुत्रीय मांग पत्र जिला कलेक्टर को सोंपा | :- गंगा सिंह चुंडावत संरपच सेलागुड़ा