भीम में जैन मुनियों का हुआ मंगल प्रवेश

भीम में जैन मुनियों का हुआ मंगल प्रवेश
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राजसमंद ( राव दिलीप सिंह)श्रमण संघीय उप प्रवर्तक विनयमुनि वागीश, उप प्रवर्तक गौतम मुनि गुणाकर,संजयमुनि, सागरमुनि का भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश सोमवार सवेरे महालक्ष्मी पैलेस से निचला बाजार स्थित जैन स्थानक में हुआ.कस्बे के मुख्य मार्गो से श्रद्धालुओं ने श्वेत परिधान तथा श्राविकाओं ने केसरिया बाना पहने हाथ में जैन ध्वज लिए जैनम जयति शासनम,वंदे वीरम, जिनशासन के जयकारे लगाते हुए सभास्थल पहुंचे जहां धर्मसभा को संबोधित करते हुए विनयमुनि ने कहा कि धर्म प्रयोजनार्थ किए गए कार्य कभी निष्फल नहीं होते है।संयम त्याग संस्कार, तप सम्यक्त्व व चरित्र आराधना वर्षावास का लक्ष्य है। आगमों में संकलित जिनेश्वर देवों के दिव्य संदेशों को प्रसारित कर प्रमाणिक जीवन जीने की कला धर्म सीखता है।यही जीवन जीने के आधार हैं। उपप्रवर्तक गौतम मुनि ने कहा कि जैन श्रमण संघीय परंपरा में आत्मोन्नति व आत्म जागरण के लिए वर्षाकाल उपयुक्त माना जाता है।पानी के योग से खेत में बीज डालने पर आसानी से प्रस्फुटित होते हैं वैसे ही धर्म के क्षेत्र में मन का वैचारिक प्रदूषण,आत्मा पर आए कषाय वासना के आवरण को ध्वस्त कर आत्मा में धर्म का बीजारोपण करने हेतु ये समय ठीक रहता है। आत्मविराधन से परे सम्यक आराधना में सहज गति करें।पर से स्वकी यात्रा कर स्वयं के वजूद को पहचाने। मुखौटे हटा वास्तविक स्वरूप का दर्शन कर स्वधर्म प्रतिष्ठा के लिए तत्पर रहे। प्रतिष्ठायन धार्मिक जगत की धुरी है।चरित्र में आदर्शवाद के प्रति अगाध निष्ठा हो।मानव शरीर धर्म का प्रथम साधन है।जिसे ज्ञान दर्शन चारित्र द्वारा संस्कारित कर,तपोयोग से आत्मज्योति प्रकट करें। इस दौरान संघ अध्यक्ष भीकम चंद कोठारी मंत्री सुरेश प्रकाश मेहता लालचंद मुनोत दिनेश दलाल बाबूलाल कोठारी सिद्धार्थ गन्ना रतनलाल मारू अरुण देरासारिया तेजमल गन्ना चांदमल दक अशोक पोखरना संजय मेहताश्यामलाल मेहता बाबूलाल देसरलादिलीप चोपडाअशोक दक काव्या देरासारिया अनुष्का देरासरिया मनीषा कोठारीरश्मि कोठारीअनिता मारू भगवत सिंह रावत दुर्गाप्रसाद सिंघानिया आदि मौजूद थे।

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