मेवाड़ अंचल में राजसमंद जिले के प्रत्येक गांव में पर्यटन उद्योग की अपार संभावना !

मेवाड़ अंचल में राजसमंद जिले के प्रत्येक गांव में पर्यटन उद्योग की अपार संभावना !
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राजसमंद (राव दिलीप सिंह)राजस्थान प्रदेश के उदयपुर संभाग मुख्यालय से 67 किलोमीटर उत्तर में स्थित राजसमंद जिला जो की 10 अप्रैल 1991 को अस्तित्व में आया है, के 7 उप मंडलों, 11 तहसीलों व 214 ग्राम पंचायतों के सभी 1084 गांवों के कण कण में समाहित अकूट खनिज संपदाके भंडार, सघन जैव विविधता, सतत प्रवाहित होने वाली नदियां, झील, बांध, तालाब व बावड़िया, ऐतिहासिक व सामरिक महत्व के दुर्ग, दर्रे व किले, धर्म संस्कृति से समृद्ध देवस्थान सहज ही देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । भक्ति शक्ति सूर्य और बलिदान की इस भामाशाह वाली वीर भूमि के प्रत्येक गांव के कण कण में इतिहास छुपा है और यहां प्रकृति और संस्कृति जीवित है। ऐसे में राजसमंद के प्रत्येक गांव को पर्यटक गांव के रूप में विकसित किए जाने की अपार संभावनाएं हैं । जिले के अधिकांश क्षेत्र में अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार है, जिसमें न केवल सघन जैव विविधता पाई जाती है, बल्कि इन्हीं पहाड़ियों से पांच पवित्र नदियां जिनमें बनास, खारी,गोमती, चंद्रभागा और कोठारी उदगमित होकर, अपने जल प्रवाह क्षेत्र की सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा से हजारों प्राकृतिक जल स्रोतों झीलों, बांधों, तालाबों,बावड़ियों, कुओं, आदि को जलापूर्ति करती है । इन्हीं नदियों की अमूल्य जलराशी से बाघेरी का नाका बांध, नंदसमंद बांध, राजसमंद झील, सरदार गढ़ तालाब, रामदेव सागर , रत्नेश तालाब,लाखेला तालाब, चिकलवास तालाब, आड़ावाला बांध, गुणिया बांध, सहित सैकड़ो छोटे-मोटे बांधो को जल निधि उपलब्ध हो पाती है, जो वर्ष पर्यंत जिले वासियों के लिए न केवल पेयजल के रूप में बल्कि कृषि जल के रूप में काम आता है । राजसमंद जिले में प्राकृतिक संसाधनों की भरपूरता, सघन व समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक जल स्रोतों की जल राशि के सतत प्रवाह से यहां पर टाइगर प्रोजेक्ट, जल कृषि, नौकायन, रोपवे, ऑर्गेनिक फूड पार्क, बागवानी, नर्सरी, जैविक कृषि, सहित टूरिज्म के सभी पहलूओ को पूरा करने की असीम संभावनाएं है । क्योंकि इस प्रकार की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक दृष्टि से भरपूर व संपन्न भूमि प्रदेश में और कहीं उपलब्ध नहीं है ।

पुरातन अरावली पर्वत श्रंखला के बीच स्थित राजसमंद केवल ऐतिहासिक महत्व के स्थान के लिए पहचाना जाता है बल्कि यहां अध्यात्म के अनेको केंद्र भी आत्म शांति का अहसास कराकर आमजन को आकर्षित कर रहे हैं । मेवाड़ राजवंश के आराध्य देव भगवान एकलिंग नाथजी कैलाश, देलवाड़ा, हजारों वर्ष पुराने जैन मंदिर, महाराजा राज सिंह जी के समय शरणागत श्रीनाथजी नाथद्वारा, द्वारकाधीश जी कांकरोली, श्री रूपनारायण मंदिर, सेवंत्री, चारभुजा नाथ मंदिर गड़बोर, मेवाड़ का अमरनाथ श्री परशुराम महादेव मंदिर, कुंभलगढ़, कुंतेश्वर महादेव मंदिर फरारा, जल देवी माता मंदिर सांसेरा, रेलमगरा, बाबा रामदेव मंदिर मियाला देवगढ़, करधर बावजी मंदिर खमनोर, गोरखनाथ संत संप्रदाय से जुड़े संतोष नाथ महाराज की तपोस्थली, आयतों की धूणी खमनोर, जय सिंह श्याम मंदिर, आमेट, सिसोदा भेरु मंदिर सिसोदा, ढेलाना भेरू मंदिर आमेट, मां गौरीधाम बगाना, भीम सीम माता मंदिर देवगढ़, विश्वास स्वरूप शिव मूर्ति, नाथद्वारा कोटेश्वर महादेव मंदिर, आसन्न, आंजनेश्वर महादेव मंदिर देवगढ़ सहित असंख्य देवस्थल राजसमंद के सांस्कृतिक पहलूओ से मेवाड़ संस्कृति के दिव्य दर्शन करवाते हैं । जिले में पर्यटकों की रुचि के लिए प्रसिद्ध स्थान कुंभलगढ़ किला, महाराणा प्रताप का जन्मस्थली, प्रसिद्ध युद्ध क्षेत्र हल्दीघाटी, राजवंश की रक्षा खातिर अपने पुत्र चंदन का बलिदान कर महाबलीदानी मां पन्नाधाय के अतुल त्याग व बलिदान की भूमि, कमेरी मैराथन ऑफ मेवाड़, दिवेर, महाराणा कुंभा की जन्मस्थली मदारिया, देवगढ़, वीर योद्धा वीर पत्ता की जन्मस्थली, आमेट, भामाशाह की भूमि, वीर योद्धा राणा पूजा व हकीमखां सूरी के रण कौशलस्थली, 1857 में रमकगढ़ का छप्पर में तांत्या टोपे और ब्रिटिश सैनिकों के बीच स्वतंत्रता संग्राम के उतार चढ़ाव के इतिहास से रूबरू भी कराता है । जहां जैन मुनियों ने अपने जप,तप और संयम का संदेश देकर अध्यात्म केंद्र अणुव्रत विश्व भारती की स्थापना कर, अहिंसा का पाठ पढ़ाया है तथा जनमानस को जीवन में चुप का महत्त्व व संदेश देने का काम संत भूरीबाई सरदारगढ़ ने किया है ।

इनका कहना है.....

राजसमंद जिला भौगोलिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध व संपन्न जिला है । जहां के प्रत्येक गांव को पिपलांत्री ग्राम पंचायत के पैटर्न पर पर्यटक विलेज के रूप में विकसित किया जा सकता है, क्योंकि इस प्रकार की प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर, प्राकृतिक जल स्रोतों की सजीवता, सघन जैव विविधता और अनुकूलता केवल राजसमंद में ही भूभाग पर ही है ।

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