कुंभलगढ़ फेस्टिवल का शोभायात्रा और सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों से हुआ आगाज

कुंभलगढ़ फेस्टिवल का शोभायात्रा और सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों से हुआ  आगाज
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देशी-विदेशी पर्यटकों का उमड़ा सैलाब, राजस्थानी संस्कृति का दिखा अद्भुत नजारा

लोक कलाकारों के साथ झूम उठे पर्य

राजसमंद( राव दिलीप सिंह परिहार)कुंभलगढ़ फेस्टिवल 2024 का शुभारंभ रविवार को पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में हर्षोल्लास के साथ हुआ। शौर्य, त्याग, बलिदान के प्रतीक, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट और मेवाड़ के आन बान शान के प्रतीक ऐतिहासिक धरोहर कुंभलगढ़ किले में आयोजित इस फेस्टिवल के पहले दिन पर्यटकों ने पारंपरिक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का खूब आनंद लिया। पर्यटन उप निदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि फेस्टिवल का आगाज सुबह 11 बजे हल्लापोल से कुंभलगढ़ किले तक भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा में कलाकारों ने राजस्थानी लोक संस्कृति की झलक पेश की। शुभारंभ के दौरान प्रधान कमला दसाणा, उपखंड अधिकारी गोविंद सिंह, पर्यटन उप निदेशक शिखा सक्सेना, सहायक निदेशक विवेक जोशी, पर्यटक अधिकारी जितेंद्र माली, सहायक पर्यटक अधिकारी नीलू राठौड़, होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भरतपाल सिंह, बड़ी संख्या में पर्यटक, स्थानीय नागरिक आदि मौजूद थे।


इसके पश्चात लाखेला तालाब पर लगे फूड कोर्ट में पर्यटकों ने राजस्थानी व्यंजनों का लुत्फ उठाया। दिन भर फूड कोर्ट पर देशी विदेशी पर्यटक स्थानीय खाद्य उत्पादों का आनंद लेते दिखाई दिए।

शाम 7 बजे से शुरू हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रत्ना दत्त ने कथक, ओडिसी, और भरतनाट्यम की अद्भुत प्रस्तुतियां दीं, जिसने पूरे वातावरण को संगीतमय बना दिया।




सांझ ढलते ही मंच पर जब कथक, ओडिसी और भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत हुए, तो दर्शकों की तालियों ने आसमान गूंजा दिया। लोक गायकों की सुरमयी आवाज ने ऐसा जादू किया कि देशी-विदेशी पर्यटक भी झूमने पर मजबूर हो गए। इस सांस्कृतिक उत्सव ने न केवल मेवाड़ की कला को सराहा, बल्कि इसे विश्व पटल पर एक नई पहचान भी दी।

फेस्टिवल के दूसरे दिन, 2 दिसंबर सोमवार को शाम 7 बजे कैलाश चंद्र मोठिया और ग्रुप वायलिन की प्रस्तुति देंगे। इसके बाद सवाई भाट एवं ग्रुप द्वारा सूफी गायन पेश किया जाएगा।

तीसरे और अंतिम दिन, 3 दिसंबर को बरखा जोशी एवं ग्रुप कथक और लोक गायन की प्रस्तुति देंगे। साथ ही मोहित गंगवानी और ग्रुप तबला वादन करेंगे। शेष दोनों ही दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक पगड़ी बांधो प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता, लोक नृत्य, और लोक गायन जैसी गतिविधियां होंगी, जो पर्यटकों को राजस्थानी संस्कृति के करीब लाएंगी। तीन दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल का समापन 3 दिसंबर की रात को होगा। कुंभलगढ़ फेस्टिवल पर्यटकों को मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति से रूबरू कराने का अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है।

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