कुंभलगढ़ महोत्सव के दूसरे दिन दिखा लोक संस्कृति और संगीत का अद्भुत संगम

कुंभलगढ़ महोत्सव के दूसरे दिन दिखा लोक संस्कृति और संगीत का अद्भुत संगम
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राजसमंद (राव दिलीप सिंह परिहार)राज्य सरकार द्वारा कुंभलगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय कुंभलगढ़ फेस्टिवल में पर्यटकों का सैलाब उमड़ रहा है। राजस्थान के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर कुंभलगढ़ दुर्ग में चल रहे 18वें कुंभलगढ़ महोत्सव के दूसरे दिन का शुभारंभ सजे दुर्ग परिसर में हुआ।

सायं प्रस्तुति में वायलिन के सुरों ने जब श्रोताओं का स्वागत किया तो वातावरण संगीतमय हो गया। पंडित कैलाश चंद्र मोठिया और योगेश चंद्र मोठिया ने वायलिन पर राग जोग और राग दुर्गा की अद्भुत प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम की धुन के साथ हुआ, जिससे परिसर देशभक्ति के जज्बे से भर गया। सवाई भाट और ग्रुप की प्रस्तुतियों ने ऐसा समां बांधा कि पर्यटक मंत्रमुग्ध हो उठे। सवाई भाट को सुनने लोग उमड़े रहे।

दूसरे दिन की मुख्य आकर्षण प्रस्तुतियों में जोधपुर के जीवन नाथ और उनकी लंगा पार्टी ने अपनी आवाज से लोगों को कार्यक्रम में जोड़े रखा। छाप तिलक सब छीनी, निंबुड़ा निंबुड़ा और केसरिया बालम जैसे लोकगीतों ने दर्शकों को आनंदित किया। वहीं, बाड़मेर के पारसमल एंड पार्टी के लाल आंगी गैर नृत्य ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। देसी ढोल की थाप पर किया गया यह नयनाभिराम नृत्य सभी के आकर्षण का केंद्र बना। चित्तौड़ के दुर्गा शंकर एंड पार्टी ने अपने बहरूपिया प्रदर्शन से लोगों का खूब मनोरंजन किया। उनके अलग-अलग वेश और पारंपरिक कला ने राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता को जीवंत कर दिया।

तीन दिवसीय महोत्सव में दिनभर दुर्ग परिसर में राजस्थान की संस्कृति और लोक कलाओं का प्रदर्शन किया जा रहा है। कच्ची घोड़ी, कालबेलिया, घूमर, चकरी, सहरिया और चरी नृत्य जैसे पारंपरिक नृत्य दर्शकों को खूब भा रहे हैं। साथ ही साफा बांधने, रंगोली मांडना और रस्साकशी जैसी प्रतियोगिताएं भी आयोजन का हिस्सा हैं, जिनमें विजेताओं को पर्यटन विभाग द्वारा पुरस्कृत किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान विदेशी और देशी पर्यटकों ने उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं और लोक कलाकारों के साथ थिरक रहे हैं।

महोत्सव के दौरान पर्यटन विभाग की पर्यटन उप निदेशक शिखा सक्सेना, सहायक निदेशक विवेक जोशी, पर्यटक अधिकारी जितेंद्र माली, सहायक पर्यटक अधिकारी नीलू राठौड़, होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भरतपाल सिंह, हेरिटेज सोसायटी के सचिव कुबेर सिंह सोलंकी आदि मौजूद रहे। पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि यह महोत्सव न केवल राजस्थान की संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित कर रहा है, बल्कि यह स्थानीय और विदेशी पर्यटकों को राज्य की कला और संगीत से जोड़ने का एक माध्यम भी है। कुंभलगढ़ महोत्सव, राजस्थानी धरोहर और लोक संस्कृति का अनूठा मेल है, जो सालभर पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।

तीसरे और अंतिम दिन, 3 दिसंबर मंगलवार को बरखा जोशी एवं ग्रुप कथक और लोक गायन की प्रस्तुति देंगे। साथ ही मोहित गंगवानी और ग्रुप तबला वादन करेंगे। शेष दोनों ही दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक पगड़ी बांधो प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता, लोक नृत्य, और लोक गायन जैसी गतिविधियां होंगी, जो पर्यटकों को राजस्थानी संस्कृति के करीब लाएंगी। तीन दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल का समापन 3 दिसंबर की रात को होगा।

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