मानसिक स्वास्थ्य की जीवन में अहम भूमिका --इदुमणि शर्मा
राजसमन्द (राव दिलीप सिंह परिहार)मानसिक स्वास्थ्य की सार्थक पहल विश्व में प्रारंभ हो चुकी है। भारत में भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा काम किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य इस मुद्दे पर समाज में अभी भी पर्याप्त जागरूकता का अभाव है। या यूं कहें जानते बूझते इसे केवल व्यक्तिगत समस्या माना जा रहा हैं। मानसिक रोगों को लेकर लोगों के मन में भ्रांतियां और हिचकिचाहट बनी हुई है, जिससे पीड़ित व्यक्ति इलाज कराने से कतराता है। सरकार ने जहां प्रति व्यक्ति चिकित्सकों का प्रबंध किया है, उनमें मनोचिकित्सकों की संख्या बहुत कम है। किसी विकार के बढ़ने पर उसके निवारण करने की गति और संसाधन भी उसी परिपेक्ष्य में बढ़ाएं जाने चाहिए। यह स्थिति केवल व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि समाज और देश की मानसिकता को भी प्रभावित करती है। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को नज़र अंदाज़ करना या इन्हें मामूली समझना समाज को पिछे धकेलने जैसा है । लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि मानसिक बीमारियों का इलाज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक बीमारियों का। मानसिक स्वास्थ्य भी जीवन में अहम भूमिका निभाता है। दौड़-भाग के जीवन में मन व चित्त को स्वस्थ रखना अतिआवश्यक है। इस दिशा में समाज में सार्थक पहल की आवश्यकता है, ताकि समाज को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी मिल सके और पीड़ित व्यक्तियों को उचित सहायता प्राप्त हो सके।