निर्माण श्रमिक शिक्षा एवं कौशल विकास योजना में हर वंचित श्रमिक को मिशन मोड पर जोड़ा जा रहा
राजसमन्द (राव दिलीप सिंह परिहार)जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा के निर्देशन में शुरू किए गए ‘प्रोजेक्ट श्रम संबल’ के तहत मिशन मोड पर ‘निर्माण श्रमिक शिक्षा एवं कौशल विकास योजना’ से श्रमिकों के बच्चों को जोड़ने का कार्य किया गया है। कलक्टर के अभियान की बदौलत दस गुना प्रगति सुनिश्चित होकर निर्माण श्रमिकों के बड़े तबके को राहत मिली है।
जहां जिले में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 31 मार्च 2024 तक योजना के अंतर्गत सिर्फ 570 बच्चों के आवेदन स्वीकृत कर 52 लाख की छात्रवृति स्वीकृत की गई थी। वहीं कलक्टर बालमुकुंद असावा के निर्देशन में शुरू किए गए प्रोजेक्ट श्रम संबल के तहत इस वर्ष 5436 आवेदन स्वीकृत कर 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।
जिले के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि इसलिए हैं क्योंकि ऐसे क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य हुआ है जहां सुधार की दरकार थी। इस अभियान की सफलता में शिक्षा, ग्रामीण विकास और श्रम विभाग के अधिकारियों ने 24 घंटे तन्मयता से जुट कर अधिकाधिक प्रगति सुनिश्चित की। यह अभियान प्राथमिक तौर पर ग्राम एमड़ी, भाणा से शुरू किया था, फिर इसे जिले के अंतिम छोर तक ले जाया जाए।
अब प्रशासन का लक्ष्य है कि इसी वर्ष इस प्रगति को और दोगुना कर हर वंचित श्रमिक के बच्चों को इसमें लाभान्वित किया जाए।
यह है योजना :
दरअसल भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल राजस्थान द्वारा निर्माण श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा सहायता प्रदान करने हेतु “निर्माण श्रमिक शिक्षा एवं कौशल विकास योजना” संचालित की जाती है। इस योजना के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिक के अधिकतम दो बच्चों को पात्रता अनुसार कक्षा छह उत्तीर्ण करने के पश्चात स्नातकोत्तर तक छात्रवृति की राशि प्रदान की जाती है।
योजना प्रारूप के अनुसार पात्र बच्चे 6वीं कक्षा से लेकर उच्च कक्षा (आईटीआई, डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर) तक की पढ़ाई करने वाले बच्चे छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करके योजना का लाभ उठा सकते हैं। योजना में वार्षिक प्रति पात्र बच्चे को वर्गीकरण अनुसार 8000 हजार से लेकर 17000 रुपए तक की स्कॉलरशिप का प्रावधान है।
इस तरह बढ़ी अभियान की यात्रा:
श्रम कल्याण अधिकारी उमेश राइका ने बताया कि अभियान में श्रमिकों के बच्चों को जोड़ने को लेकर मिशन मोड पर निरंतर कार्य किया गया है।
शिक्षा विभाग की ओर से सर्वे कर वंचित एवं पात्र श्रमिकों के बच्चों के आवेदन फ़ॉर्म भरवाए गए, ग्रामीण विकास एवं पंचायातीराज विभाग के माध्यम से श्रमिक का नियोजक प्रमाण पत्र जारी किया गया, नरेगा हाजरी तैयार करवा कर ई मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करवाए गए और श्रम विभाग द्वारा इन्हें स्वीकृत किया गया, जो निरंतर जारी है। सभी अधिकारी प्रगति को और बेहतर करने में दिन-रात जुटे हुए हैं।