जिनेश्वर भगवंत का नाम लेने से आत्मा को सम्यग् दर्शन की प्राप्ति होती है : साध्वी जयदर्शिता

उदयपुर । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्मयोगी आचार्य श्रीमद विजय कला पूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सुरीश्वर महाराज के आज्ञावर्तिनी वात्सलयवारिधि जीतप्रज्ञा महाराज की शिष्या गुरुअंतेवासिनी, कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में शनिवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि ह्रदय में आदर-बहुमान पूर्वक जिनेश्वर भगवंत का नाम लेने से आत्मा को सम्यग् दर्शन गुण की प्राप्ति होती है। यदि पहले ही सम्यक दर्शन प्राप्त कर लिया हो तो प्रभु के नाम स्मरण से पूजन-अर्चना से वह सम्यक दर्शन अधिक निर्मल बनता है। परमात्मा सुविधिनाथ प्रभु के गर्म में आने के बाद प्रभु के माता-पिता विधिपूर्वक धर्म की आराधना करने लगे, अत: प्रभु का सुविधि" नाम रखा गया अथवा मचकुंद के पुष्प के समान प्रभु की दंत पंक्ति होने से प्रभु का नाम पुष्पदंत" रखा गया ।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।