कागज़ों में विकास, हकीकत में विनाश – कुंभलगढ़ में टूटती छतें और टूटा भरोसा

कागज़ों में विकास, हकीकत में विनाश – कुंभलगढ़ में टूटती छतें और टूटा भरोसा
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राजसमंद/कुंभलगढ़ राहुल आचार्य –जहां एक तरफ सरकारें शिक्षा के सुधार और स्कूलों के आधुनिकीकरण के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ क्षेत्र के कुंचोली गांव में स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में प्रशासन और ठेकेदारों की लापरवाही के चलते बच्चों की जान खतरे में डाल दी गई है।

RCC की छत ऊपर, जर्जर दीवारें नीचे – मौत बुला रहा निर्माण कार्य

ग्रामिणों की माने तो विद्यालय भवन की नीचे की पट्टियाँ पहले से ही जर्जर अवस्था में थीं, जिनका किसी भी वक्त गिर जाना तय है। बावजूद इसके, शिक्षा विभाग ने वही पर बिना मरम्मत के ऊपर RCC की छत डलवा दी, नया निर्माण कार्य करवा दिया। यह न सिर्फ इंजीनियरिंग के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा से भी खुला खिलवाड़ है।

झालावाड़ से सबक नहीं लिया शिक्षा विभाग ने

हाल ही में झालावाड़ में हुई स्कूली दुर्घटना को देश ने अभी भूला भी नहीं था कि कुंभलगढ़ में भी वही लापरवाही दोहराई जा रही है। सवाल यह है कि क्या विभाग हादसे का इंतज़ार कर रहा है? क्या किसी मासूम की जान जाने के बाद ही कोई कार्रवाई होगी?

ग्रामिणों का फूटा गुस्सा, स्कूल भेजने से किया इनकार

गांव वालों ने बच्चों को स्कूल भेजने से इनकार कर दिया है और विद्यालय परिसर में जमकर प्रदर्शन किया। नारों के बीच एक ही सवाल – "अगर हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा?"

"ये इमारत नहीं, मौत की छाया है… और विभाग इसे विकास कहता है?" – प्रदर्शनकारी की कड़वी टिप्पणी।

कागज़ों में बना विकास, ज़मीनी हकीकत में सिर्फ मलबा

नेता व अधिकारियों के झूठे वादों और ठेकेदारों की अनदेखी से गांव के लोग अब खुद ही सवाल कर रहे हैं –ñ

"क्या हमारे बच्चों की जान की कीमत इतनी कम है?"

"क्या विकास का मतलब अब सिर्फ दीवार पर रंग करना है?"

अब जरूरत है दिखावे से ऊपर उठकर ज़िम्मेदारी निभाने की। क्योंकि अगर ये छतें गिरीं, तो सिर्फ ईंट और सीमेंट नहीं, बल्कि सरकार पर से जनता का भरोसा भी टूटेगा।

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