डॉक्टरों ने 538 डिलीवरी कर रचा इतिहास, नेता अब भी सो रहे हैं!
राजसमंद (राहुल आचार्य)। डॉक्टर अगर धरती के भगवान कहलाते हैं, तो राजसमंद के आर.के. चिकित्सालय के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने इस बात को एक बार फिर सच्चाई में बदल दिया है। संसाधनों की कमी, सीमित स्टाफ और सुविधाओं के अभाव के बावजूद सिर्फ एक महीने में 538 सफल प्रसव कराकर उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी मिशन से कम नहीं।
इस उपलब्धि में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन प्रसवों में 101 जटिल केस भी शामिल थे, जिन्हें सिर्फ 3 डॉक्टर और 8 नर्सिंग स्टाफ ने बिना किसी बड़ी त्रुटि के पूरा किया। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि सेवा भावना, समर्पण और मानवीय कर्तव्य का प्रतीक है।
लेकिन जहां एक ओर यह टीम बधाई की पात्र है, वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बेरुखी एक बड़ा सवाल बनकर खड़ी है। राजसमंद जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में महिला वार्ड में सिर्फ 33 बेड, वो भी आधे से ज्यादा समय बिना पर्याप्त स्टाफ के — क्या यही विकास है? क्या यही स्वास्थ्य सेवा है जिसकी घोषणाएं मंचों से की जाती हैं?
500 मरीजों के लिए कम से कम 40 स्टाफ की आवश्यकता होती है, लेकिन यहां मात्र 8 लोगों पर पूरा वार्ड टिका हुआ है। क्या यही है 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का ज़मीनी सच?
अस्पताल प्रबंधन अपने स्तर पर जितना संभव है, कर रहा है — लेकिन बिना जनप्रतिनिधियों की पहल और प्रशासनिक सहयोग के यह जंग अकेले नहीं लड़ी जा सकती।
अब वक्त है कि नेता भी कुर्सी से उठें और अस्पताल की दहलीज़ पर आएं। उद्घाटन की तस्वीरों से आगे बढ़कर अगर कुछ करना है, तो RK चिकित्सालय की जमीनी सच्चाई को बदलना होगा।
डॉक्टरों और स्टाफ को सलाम, और नेताओं से सवाल — आखिर आपकी प्राथमिकता क्या है? फोटो खिंचवाना या सिस्टम सुधारना?
वही आपको बता दे की सिस्टम की लापरवाही से अब तक राजसमंद जिले में 1 साल में दो बच्चे चोरी हो गए ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो जाता तो उसका कौन जिम्मेदार रहता।