आईड़ाणा में 10 फरवरी को कुलदेवी गाजण माता मन्दिर प्राण-प्रतिष्ठा, मार्च में होगा जगतगुरु शंकराचार्य का प्रवास
राजसमंद// अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ट्रस्ट के प्रदेश प्रवक्ता एवं लोकसभा गो प्रवक्ता राव दिलीप सिंह परिहार ने बताया कि मंडोर परिहार वंश कुलदेवी मां चामुण्डा (गाजण) माता का पाली जिले के रोहट उपखंड क्षेत्र की गाजनगढ़ पहाड़ी पर स्थित गाजण माता का मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है। मंडोर के राजा नाहर राव परिहार की बारात मंडोर से सिरोही की ओर रवाना हुई। उस समय राजा नाहर राव ने चामुण्डा माता को अपने साथ चलने को कहा तो माता ने मना कर दिया। इस पर राजा ने मंडोर से बारात ले जाने से मना कर दिया। इसके बाद माता ने कहा कि मैं साथ चलने के लिए तैयार हूं लेकिन रास्ते में मुझे मेरे किसी भक्त ने रोक दिया तो मैं वही रूक जाऊंगी। राजा ने शर्त मंजूर कर ली। हाथी, घोडों और नगाड़ों के साथ बारात रवाना होकर धर्मधारी के जंगल में आ गई। यहां पर कृपाल जी राजपुरोहित गो माताओं को चरा रहे थे।
हाथी-घोड़ों व नगाड़ों की आवाज सुनकर गो माताएं भडक़ गई और भागने लगी। कृपाल जी ने उन गो माताओं को बोला कि हे मां रूक जा, हे मां रूक जा…..। यह ध्वनि बारात में आई माता चामुण्डा ने सुन ली तो उन्होंने अपने सिंह को वही रोक दिया। राजा नाहर राव ने माता से रुकने का कारण पूछा तो उन्होंने वचन के बारे में बताया। उन्होंने राजा को बारात लेकर जाने को कहा। कृपाल जी राजपुरोहित ने परिहार राजा नाहर राव से कहा कि आप तोरण वंदन के समय सावधानी रखें। वहां पोल का झरोखा गिर जाएगा। राजा के विवाह के लिए तोरण वंदन के समय ऐसा ही हुआ। इस पर वापस लौटते समय राजा ने कृपाल जी को देवी की पूजा करने का जिम्मा सौंपा, लेकिन कृपाल जी को देवी की पूजा करने का जिम्मा सौंपा इस पर चामुण्डा माता तेज गर्जना के साथ पहाड़ फाडकऱ विराजमान हो गई। इसी कारण गाजण माता कहलाई। कृपालदेव देवी के चरणों में गिरे और कहा कि मैं हमेशा आपकी सेवा करूंगा। परिहार राजा नाहर राव ने दस हजार बीघा भूमि व धर्मधारी गांव जागीर दी । गाजण माता परिहार राजवंश की कुलदेवी है। इन्हीं परिहार राजा नाहड़ राव के वंशजों में राजा दिपो राव परिहार हुए उनके वंश में रणधमण (रणध्वल) हुए जो मंडोर राठोड़ राजा को दहेज में देने के उपरांत मेवाड़ कि ओर पलायन कर आये तब रणधमण जी के पुत्र राव रतन सिंह परिहार को महाराणा मोकल सिंह ने 1432 में आईड़ाणा, सियाणा विजणवा टीकड़ झांझर सहित प्रथम पांच गांव जागीर प्रदान कि गई । राव रतन सिंह ने 1432 में इंदा परिहार होने से ईंदाणा (आईड़ाणा )श्रावण सुदी बीज के दिन आईड़ाणा राज गद्दी कि थापना कि उसके उपरांत टिकर में शिखर बंद महादेव मंदिर बनाते हुए कुण्ड खुदवाये , छत्रियां बणाई,झांझर में महादेव मंदिर व कुण्ड खुदवा तथा अन्य जगह भी मंदिर बनाया । तभी से इनके वंशज यहां निवासरत है । गाजण माता मन्दिर सेवा समिति आईड़ाणा द्वारा चार दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 6 फरवरी को गणपति स्थापना,कलश यात्रा से प्रारम्भ होकर ,9 को शोभायात्रा, रात्रि विशाल भजन संध्या, एवं संवत 2081 माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी सोमवार 10 फरवरी अभिजीत मुहूर्त में 1008 परम पुज्य गुरूदेव अवधेश चैतन्य महाराज सुरज कुण्ड धाम , महामंडलेश्वर मोनी राम दास जी महाराज श्रीराम दरबार, महामंडलेश्वर सीता राम दास जी महाराज पंचमुखी हनुमान रामेश्वर दास जी महाराज देवगढ़, हंसदास जी महाराज पशुपति नाथ मंदिर आड़ावाल एवं प्रधान यज्ञाचार्य पड़ित उमेश जी द्विवेदी के करकमलों द्वारा आयोजित होगी उसके उपरांत महाप्रसादी होगी । इसी के निमित्त शुक्रवार को आमंत्रण पत्रिका का ग्रामीणों ने पुजन किया गया एवं आमंत्रण हेतु जिम्मेदारी दी गई।
इसके उपरांत मार्च माह में गोमाता राष्ट्र माता गो प्रतिष्ठा आंदोलन के जगतगुरु शंकराचार्य प्रवास रहेगा । इस अवसर पर गाजण माता सेवा समिति के अध्यक्ष राव प्रेम सिंह फतावत, पत्रिका वितरण कमेटी अध्यक्ष राव राम सिंह भाणावत , वित कमेटी अध्यक्ष राव शंकर सिंह फतावत ,मूर्ती कमेटी अध्यक्ष राव खुमाण सिंह नंगावत ,जोत कमेटी अध्यक्ष राव कान सिंह , कोषाध्यक्ष जोरावर सिंह , मोहब्बत सिंह,तेज सिंह,विजय सिंह,शम्भु सिंह , मोती सिंह,शम्भु सिंह ,मनोहर सिंह, भवानी सिंह, जसवंत सिंह,डूल्ले सिंह, राजसमंद राजसमंद गो सांसद दरबार सिंह,भैरू सिंह ,नाहर सिंह ,किशन सिंह , रोड़ सिंह,माधु सिंह ,लाल सिंह ,भरत सिंह ,राजेन्द्र सिंह शम्भु सिंह, कुशाल सिंह ,किशन सिंह ,चैन सिंह, भुपेंद्र सिंह , विरेन्द्र सिंह आदी उपस्थित थे ।