जनभावनाओं के सम्मान और न्याय की सच्ची परिभाषा बन रहे ग्रामीण सेवा शिविर

राजसमंद । जिले के नाथद्वारा उपखंड के ग्राम पंचायत बिलोता में आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि राज्य सरकार के ये शिविर केवल औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि ग्रामीणों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने वाले जनकल्याण के पर्व हैं।

बिलोता निवासी मदनलाल पुत्र मांगीलाल के जीवन में यह शिविर एक ऐसी सुबह लेकर आया जिसने उनके 36 वर्षों पुराने दर्द को मिटा दिया। लगभग साढ़े तीन दशक पहले उनके पिता को राज्य सरकार द्वारा भूमि का आवंटन किया गया था, परंतु लिपिकीय भूल के कारण यह भूमि राजस्व रिकॉर्ड में माधु पुत्र मोहन के नाम दर्ज हो गई।

तहसीलदार सुरेश नाहर ने बताया कि इस भूल की जानकारी मिलने पर मदनलाल ने वर्षों तक सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए, किन्तु समाधान न मिलने से वे निराश और व्यथित हो उठे। उम्मीद की किरण लगभग बुझ चुकी थी, लेकिन 17 सितम्बर 2025 को सेवा पर्व पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर बिलोता ने उनके जीवन को नई दिशा दे दी।

शिविर में उपस्थित होकर जब मदनलाल ने अपनी व्यथा शिविर प्रभारी उपखंड अधिकारी रक्षा पारीक को बताई, तो उन्होंने तुरंत संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय देते हुए राजस्व विभाग की टीम को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उनके आदेश पर तहसीलदार सुरेश चन्द्र नाहर, भू-अभिलेख निरीक्षक रवीन्द्र माली तथा हल्का पटवारी श्री नीरज पालीवाल ने मौके पर ही हाथों-हाथ पत्रावली तैयार कर भूमि के रिकॉर्ड में सुधार किया और नकल मदनलाल को सौंप दी।

36 वर्षों से अधूरी पड़ी यह आस उसी क्षण पूरी हो गई। जैसे ही नकल उनके हाथों में आई, उनकी आंखों से बरबस ही आंसू छलक पड़े—लेकिन यह आंसू गहरी राहत और अपार खुशी के थे। भावुक स्वर में उन्होंने कहा कि आज मुझे लगता है कि मेरे पिता का सपना पूरा हो गया है। इतने सालों बाद न्याय मिला है, और यह दिन मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है।

इस शिविर में केवल मदनलाल ही नहीं, बल्कि कई अन्य ग्रामीणों को भी राहत मिली। राजस्व विभाग ने शिविर में 5 विभाजन प्रकरण, 21 शुद्धि पत्र, 74 नामांतरण, 21 मूल निवास प्रमाण पत्र, 16 जाति प्रमाण पत्र तथा 11 लंबित एफआरसी प्रकरणों का निस्तारण किया। साथ ही, कृषि विभाग की एएओ रंजना ओदिच्य एवं कृषि पर्यवेक्षक रामप्रताप ने किसानों को उपयोगी जानकारी प्रदान की।

लाभार्थी ने कहा कि ग्रामीण सेवा शिविर वर्षों से अधूरी आशाओं को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं। यह केवल प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि जनभावनाओं के सम्मान और न्याय की सच्ची परिभाषा है।

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