स्ट्रीक पाकर खिले बुजुर्गों के चेहरे

स्ट्रीक पाकर खिले बुजुर्गों के चेहरे
X

राजसमन्द ( राव दिलीप सिंह परिहार)कहते हे बचपन से लेकर जवानी हंसते खेलते निकल जाती हे जब उम्र के अंतिम पड़ाव में हडियों में कैल्सियम कम होने के कारण चलने में दिक्कत आती है उस समय स्ट्रीक की जरूरत पड़ती है।

समाजसेवी प्रकाश बोलीवाल व फतह लाल कुमावत कृषि साथीजी ने भाना के राजस्व ग्राम भगवानदा कला में भ्रमण कर 25 महिला पुरुष बुजुर्गों की सूची तैयार की जिनको स्ट्रीक के सहारे चलना पड़ता है, उक्त सूची अंत्योदय फाउंडेशन मुंबई को भेजकर संस्थापक महेंद्र मेहता द्वारा 25 स्ट्रीक भेजी जिनको आज चारभुजा मंदिर परिसर पर बुजुर्गों को स्ट्रीक वितरण की गई, स्ट्रीक वितरण करने पर बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और अंत्योदय फाउंडेशन का धन्यवाद ज्ञापित किया।

Next Story