‘असल हकदारों को मिल रहा लाभ, 65 लाख से अधिक वंचित पात्रों को मिली खाद्य सुरक्षा’

राजसमंद, । खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा संचालित ‘गिव अप अभियान’ प्रदेश में सामाजिक न्याय, स्वैच्छिक त्याग और गरीबों की सेवा की आदर्श मिसाल बनकर उभरा है। यह अभियान न केवल आमजन की नैतिकता, समानुभूति और संवेदना आधारित सोच को प्रदर्शित कर रहा है, बल्कि सहभागिता के माध्यम से सामाजिक जिम्मेदारी को भी सशक्त कर रहा है। ‘गिव अप अभियान’ निर्धन के हक में किसी प्रकार की सेंधमारी न हो, इस भावना को सामाजिक कर्तव्य में परिवर्तित कर रहा है।
सक्षम लोगों का त्याग बना गरीबों का निवाला
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का मुख्य उद्देश्य सेवा और संवेदनशीलता के साथ निर्धन तक उसका वास्तविक हक पहुँचाना है। माननीय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में विभाग असल हकदारों तक लाभ पहुँचाने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है।
गिव अप अभियान के अंतर्गत अब तक 37.62 लाख अपात्र लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा छोड़ी है। वहीं 27 लाख से अधिक लोगों द्वारा ई-केवाईसी नहीं करवाई जाने से उनका नाम स्वतः सूची से हट गया, जिससे 65.25 लाख नए पात्र लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिल सका है।
राज्य सरकार के इस कदम से खाद्य सुरक्षा का लाभ वास्तविक वंचितों को प्राप्त हो रहा है। उन्हें मुख्यमंत्री रसोई गैस सब्सिडी योजना के तहत प्रति वर्ष 450 रुपये में 12 गैस सिलेंडर, मुख्यमंत्री आयुष्मान दुर्घटना बीमा योजना के तहत 10 लाख रुपये का बीमा कवरेज और मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत निशुल्क चिकित्सा सुविधा मिल रही है।
गोदारा ने बताया कि गिव अप अभियान की अभूतपूर्व सफलता को देखते हुए इसकी अवधि 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाई गई है।
जिला रसद अधिकारी विजय सिंह ने बताया कि ने बताया कि राजसमंद जिले में 80,332 संपन्न लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा का त्याग किया है। इन रिक्तियों से 94,400 पात्र लोगों को खाद्य सुरक्षा से जोड़ा गया है, जिससे जिले में सामाजिक न्याय की भावना को और मजबूती मिली है।
वसूली को लेकर विभागीय कार्रवाई सख्त
गोदारा ने बताया कि केवल पात्र और वंचित लोग ही खाद्य सुरक्षा से जुड़े रहें, यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार का दायित्व है। इसके लिए विभाग द्वारा पात्रता सत्यापन डोर-टू-डोर किया जा रहा है। अपात्रों की सूची पंचायत समितियों, नगर पालिकाओं, कलेक्ट्रेट और रसद कार्यालयों में चस्पा की जाएगी। उन्हें नोटिस जारी कर 30 रुपये 57 पैसे प्रति किलोग्राम गेहूं की दर से वसूली की जाएगी।
नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया हुई आसान
विभाग ने पहली बार नाम हटाने की प्रक्रिया को सरल बनाया है, साथ ही नाम जोड़ने की प्रक्रिया को भी अधिक लाभार्थी-फ्रेंडली किया गया है। पात्र व्यक्ति अब ई-मित्र केंद्र या विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पात्रता जांच के लिए शहरी और ग्रामीण स्तर पर जांच दलों का गठन किया गया है, जबकि जिला कलेक्टर को भी खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोड़ने के लिए अधिकृत किया गया है।
अपात्र परिवारों की श्रेणियाँ स्पष्ट
विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार ऐसे परिवार अपात्र माने जाएंगे, जिनका कोई सदस्य सरकारी, अर्द्धसरकारी या स्वायत्तशासी संस्था में नियमित कर्मचारी या अधिकारी हो, या जो एक लाख रुपये से अधिक वार्षिक पेंशन प्राप्त करता हो। इसी प्रकार आयकरदाता परिवार या जिनके पास चारपहिया वाहन (ट्रैक्टर और एक वाणिज्यिक वाहन को छोड़कर) है, वे भी अपात्र होंगे।
विभागीय पर्यवेक्षण और निगरानी सघन
गिव अप अभियान के प्रभावी पर्यवेक्षण के लिए उपायुक्त और संभागीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। गोदारा ने अब तक 32 जिलों का दौरा कर अभियान की प्रगति की समीक्षा की है। जिला स्तर पर अधिकारियों को साप्ताहिक एवं पाक्षिक प्रवास कर रिपोर्ट मुख्यालय भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
जिला स्तर पर प्रचार-प्रसार और जागरूकता अभियान
अभियान की सफलता के लिए जिला स्तर पर जनप्रतिनिधियों, उचित मूल्य दुकानदारों और विभागीय अधिकारियों के साथ सतत समन्वय बनाए रखा जा रहा है। सोशल मीडिया एवं क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से आमजन में सकारात्मक चेतना फैलाने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा से नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया के प्रति व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
