कुंभलगढ़ दुर्ग में दक्षिण मुखी गणपति महाराज मंदिर में लगी रही भक्तों की भीड़

कुंभलगढ़ दुर्ग में दक्षिण मुखी गणपति महाराज मंदिर में लगी रही भक्तों की भीड़
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राजसमन्द (राव दिलीप सिंह) यूं तो कुंभलगढ़ दुर्ग परिसर में कुल 360 मंदिर स्थित थे। वर्तमान में कुछ मन्दिर को छोड़ कर लगभग सभी मंदिर अस्तित्व में नहीं है। लेकिन दुर्ग में मुख्य प्रवेश द्वार रामपोल के बाई और प्रथम पूज्य देव गणपति महाराज का दक्षिण मुखी भव्य मंदिर वास्तुशास्त्र एवं शिल्प कला के नायाब उदाहरण के रुप में विद्यमान है। वहीं गजानन महाराज कई भक्तों के ईष्ट के रूप में बिराजमान है। ऐसा कहा जाता है कि, दक्षिण मुखी गणपति महाराज के दर्शन करने से दक्षिण मुखी हनुमान जी के दर्शन करने जैसा लाभ मिलता है।

ऐसा भी माना जाता है कि, महाराणा कुंभा के मंडोर एवं नागौर युद्ध के विजय आभियान के दौरान यह मूर्ति वहां से महाराणा स्वयं लेकर आए थे एवं उनके स्वयं द्वारा यह मूर्ति दुर्ग में दक्षिण मुखी भव्य मंदिर बना कर स्थापित की गई थी। गणपति पर सिंदूर एंव मालीपना की आंगी बनाई जाती है। वहीं मूर्ति की ऊंचाई सवा तीन फीट जबकि चौड़ाई ढाई फीट है।

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