राजस्थान में बाघों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सात बाघ-बाघिन लाए जाएंगे

राजस्थान में बाघों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सात बाघ-बाघिन लाए जाएंगे
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जयपुर। राजस्थान के टाइगर रिजर्व में बाघों की आनुवांशिक विविधता बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सात बाघ और बाघिनों को लाया जाएगा। मध्यप्रदेश के पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व तथा महाराष्ट्र के तंडोवा और अंधेरी टाइगर रिजर्व से ये बाघ-बाघिन राजस्थान में स्थानांतरित किए जाएंगे।

तीन बाघिनों को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लाया जाएगा। इसके लिए रिजर्व के बजाल्या ग्रासलैंड पर वायुसेना का हेलीपैड बनाया जा रहा है। पहले चरण में एक बाघिन मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से इसी सप्ताह रामगढ़ विषधारी में लाई जाएगी।

**एनटीसीए से मिली अनुमति**

जिला वन अधिकारी देवेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी की ओर से पूरी प्रक्रिया के लिए मंजूरी मिल चुकी है। बाघिन को पहले कुछ दिन अर्ध सुरक्षित बाड़े में रखा जाएगा ताकि वह नए वातावरण में ढल सके। इसके बाद उसे खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।

रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में कुल सात बाघ और बाघिनों को लाया जाएगा। दो बाघिन और दो बाघ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में होंगे, जबकि तीन बाघिन रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में। वन अधिकारियों के अनुसार, इन रिजर्व में पहले केवल एक ही वंश के बाघ निवास कर रहे थे, जिससे आनुवंशिक समानता की समस्या उत्पन्न हो रही थी।

**आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लाभ**

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से नए बाघों के लाने से रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बाघों में आनुवंशिक विविधता बढ़ेगी। वन्यजीव विशेषज्ञों ने भी इसे आवश्यक बताया था। राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा और अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार का मानना है कि वर्तमान समय में यह कदम बाघ संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

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