छोटे से गांव की बेटी बनी इसरो में वैज्ञानिक, अंतरिक्ष विज्ञान में करेगी रिसर्च

सीकर। कुछ कर गुजरने का जज्बा व कड़ी मेहनत हो तो कामयाबी का कठिन से कठिन किला भी फतेह किया जा सकता है। जिले के छोटे से गांव रोरु बड़ी की विभा शर्मा इसकी नजीर है, जिसने सामान्य ट्रेंड से हटकर अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में कदम रख इसरो में वैज्ञानिक पद तक की उड़ान भर ली है। जिले का नाम बढ़ा चुकी विभा अब अंतरिक्ष विज्ञान में शोध कर देश का मान बढ़ाना चाहती है। विभा अपनी सफलता में दादा मुकुंदराम शर्मा, शिक्षक पिता सुरेंद्र शर्मा व सांख्यिकी विभाग में निदेशक मां इंदिरा शर्मा के सहयोग को भी अहम बताती है।

मेहनत को ही मंजिल का एकमात्र मार्ग मानने वाली विभा बचपन से ही कुछ बड़ा करना चाहती थी। 12वीं तक की पढ़ाई सीकर में करने के बाद उसने 2019 में एमएनआईटी जयपुर से बीटेक किया। फिर 2020 में गेट परीक्षा में ऑल इंडिया 92वीं रैंक हासिल कर आइआइटी मुंबई तक पहुंची। यहां 2022 में मेटलर्जिकल एंड मैटिरियल्स साइंस (धातुकर्म और पदार्थ विज्ञान) में फर्स्ट रैंक से एमटेक कर मल्टीनेशनल कंपनी में एसोसिएट मैनेजर पद काम किया। पर विभा का सपना अब भी अधूरा था, जो उसने शिद्ददत और लगन से इसरो तक पहुंचकर पूरा किया।

इसरो में चयन के बाद विभा अब अंतरिक्ष विज्ञान के कई सूक्ष्म पहलुओं पर शोध करेगी। मेटलर्जिकल एंड मैटिरियल्स साइंस में विशेषज्ञता उसमें अहम भूमिका निभाएगी। सफलता का सूत्र बताते हुए विभा कहती है कि संघर्ष की यात्रा में सपना पूरा होने तक वह असंभव लगता है, लेकिन सही रणनीति के साथ खुद पर भरोसा व मेहनत हो तो उसे संभव बनाया जा सकता है।

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