धर्म से मांगना नहीं बल्कि धर्म के प्रति समर्पण करना चाहिए : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

धर्म से मांगना नहीं बल्कि धर्म के प्रति समर्पण करना चाहिए : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन महाभारत ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। शनिवार 10 अगस्त को गीत-संगीत के साथ सीमंधर स्वामी की भावयात्रा का आयोजन होगा।

महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि मन जब भव के, द्वेष के लोभ के या राग के अधीन बन जाता है तब व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान हो मगर विवेक शुन्य हो जाता है। कंस का उदाहरण इस विषय में विस्तार से देकर समझाया कि अपने मन को कोई भी दोष की भावना के अधीन नहीं होना चाहिए। धर्म से मांगना अतार्किक एवं अयोग्य बात है। धर्म तो उनके प्रति समर्पण करने लायक तत्व है।

चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन हो रहे है। इस अवसर पर तेजसिंह बोल्या, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।

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