चातुर्मासिक प्रवचन के साथ नित्य नियम पूजन व जलाभिषेक

चातुर्मासिक प्रवचन के साथ नित्य नियम पूजन व जलाभिषेक
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उदयपुर, । गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुलक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के तहत दस लक्षण महापर्व आयोजन की धूम जारी है।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि बुधवार को महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच दिवस तथा भगवान पुष्पदंत का मोक्ष कल्याणक दिवस धूमधाम से मनाया गया आज के उत्तर शौच दिवस के सभी धार्मिक क्रियाओं कर भगवान का पंचामृत अभिषेक, शांतिधारा, सौधर्म इंद्र बनने के साथ साथ संध्या कालीन आरती का लाभ भी लिया। प्रतिदिन मन्दिर जी में दैनिक क्रियाएं प्रात: 6.30 से प्रारंभ हो जाती है जो 11 बजे पूजा की समाप्ति तक चलती है। उत्तम शौच धर्म में कहा जाता है कि लोभ का त्याग जितनी आवश्यकता है उतना रखना शेष को त्याग देना, धन व्यक्ति को सुखी करने का उपाय नहीं, मात्र साधन हैं अपने जीवन में पवित्रता रखते हुए। लोभ का त्याग करें जो प्राप्त है वो पर्याप्त है की भावना रखना।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत ने बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने प्रवचन में कहंा कि इंसान की जिन्दगी का हार जीत का फैसला उसकी औलाद करती है अगर संस्कारी और कमाऊ है तो जीत है अगर औलाद बेकार और आवारा है तो करोड़ो की कमाई हुई पूजी होते हुए भी हार है। चार लोग एक ही दिशा में तभी चलते है जब पांचवा कंधे पर हो पुरी जिन्दगी हम इसी सोच गुजार देते है कि चार लोग क्या कहेंगे, और अंत में ये चार कहते है राम नाम सत्य है। पैसा भी अजीब चीज है कुछ नहीं है पर सब कुछ है अगर पैसो के पिछे भागोगे तो वो हमेशा ज्यादा तेज भागता है, अगर बिना पैसे के सोचो भागो तो वहीं पैसा हमारे पिछे आता है, हा..मेंने तबसे भागना नहीं छोडा़ है, बढिय़ा सर कामयाबी की आपकी परिभाषा कामयाबी की कोई परिभाषा नहीं होती है, कामयाबी पाकर हम उसकी परिभाषा बन जाते है। लाइफ में बहुत सारा टेंशन आये लेकिन कभी शिकायत मत करना, ऊपर वाला एक ऐसा डाईरेक्टर जो सबसे कठिन रोल बैस्ट एक्टर को ही देता है। अगर आप 18 साल की उम्र में कहते है कि मेरे पास पैसे नहीं है तो ये आपकी गलती नहीं है, लेकिन आप 28 साल की उम्र में कहते है कि मेरे पास पैसे नहीं है तो ये आपकी गलती है। आपका जीवन जो चला रहा है साला किसी को मतलब नहीं है,कब तु मर जाओगे को किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, मै बता रहा हु आपको नो बँड़ी केयस, कब आये, कब जीये, कब मर गये, नो बाँड़ी केर्यस, साला ऐसी कोई जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है यार, कि जिसमें सबने मरना तय है, साला ऐसा कुछ तो कर जाओ, कि तुम्हारे आने से पहले की दुनिया और तुम्हारे आने के बाद की दुनिया कुछ तो फर्क पैदा हो यार साला कुछ तो करेंगे यार।

कार्यक्रम का संचालन लोकेश जैन जोलावत ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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