मूर्ति में भगवान जिनकों दिखते है वे भक्त है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

मूर्ति में भगवान जिनकों दिखते है वे भक्त है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

नाहर ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि मंदिर और मूर्ति में कई लोग को मिलकत दिखती है और कई पुण्यशाली को भगवान दिखते है। भक्त वो नहीं जिनको मंदिर और मूर्ति में मिलकत ही दिखे। भक्त तो वो है जिनको मूर्ति में भगवान दिखते है। आदि से अंत तक की धर्मक्रिया धर्म तब बनती है जब उनमें अरिहंत की आज्ञा के प्रति समर्पण भाव जुड़े। अरिहंत की आज्ञा ही सत्य है ऐसा मानना सम्यकत्व है जिसे श्रद्धा, दर्शन समकित, बोधि जैसे शब्दों से भी पहचाना जाता है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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