विश्व के प्राणीमात्र का सुख-चेन अरिहंत भगवंत की कृपा का फल है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

विश्व के प्राणीमात्र का सुख-चेन अरिहंत भगवंत की कृपा का फल है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन शुर हुआ।

नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे। नाहर ने बताया कि बुधवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने नवपद की महिमा को बताते हुए कहा कि नवपद ओली का यह प्रथम दिवस नवपद के प्रति हमें नम्र बनने का संदेश देता है। क्योंकि जीवन की सार्थकता बिनम्रता से है। आप सभी नवपद यानि नवकार महामन्त्र की महिमा जानते हैं। यह मन्यों में सर्वश्रेष्ठ है इसलिए इसे महामन्त्र या मन्त्राधिराज कहते है। नवपद अर्थात् नम्रता एवं विवेकपूर्वक नवपद हमें पापक्रमों के दमन का सन्देश देता है। प्रथम दिन अरिहंत की आराधना से समाधि का जागरण होता है। अपेक्षा से पर्युषण से ज्यादा महत्व नवपद की ओली का है। क्योकि पर्युषण की आराधना शाश्वतकालीन है। इसी के साथ अरिहंत पद की विवेचना भी की गई। कहां कि करंसी नोट आप के जेब में है या पॉकेट में तिजोरी में है या बैंक के लोकर में मगर आखीर वो ाई कहां से रिर्जवर बैंक से उसी तरह तीन लोग में देवता सुखी हो या नरकी, मानवी सुखी हो या जानकवर मगन सुख आया कहां से। अरिहंत भगवत की कृपा के कारण से सर्वोध करूणा के धनी अरिहंत प्रभु है। वहां हमारे ह्दय में बिजराजमान होने चाहिए।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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