सिद्धपद की शरण मिलने पर आत्मा अमर बन जाती है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

सिद्धपद की शरण मिलने पर आत्मा अमर बन जाती है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन शुर हुआ। आयड़ तीर्थ में 90 तपस्वी नवपद की आयंबिल ओली का सामूहिक तप कर रहे है।

नाहर ने बताया कि गुरुवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने श्री नवपद की आराधना के दूसरे दिन सिद्धपद के महत्त्व को बताते हुए कहा कि सिद्धपद की आराधना से जीवन में सरलता का उदय होता है, जीवन सरलता के साथ साथ सरसता से भी भर जाती हैं, काया-क्लेश मिट जाते हैं, एवं मधुरता से जीवन महकने लगता है, अनुपम भक्तिभाव से भक्ति गीत सहज मुखर जाती है। सिद्ध परमात्मा का स्वरूप बताते हुए अनंत ज्ञानियों ने कहा है कि जिनके समस्त दु:ख सम हो गये हैं, जिन्हें जन्म, जरा, मृत्यु और आठ कर्म का कोई भय नहीं है, बोधन नहीं हैं, जो प्रतिक्षण अनंत आनंद, परम सुख का अनुभव कर रहे हैं. जो अविनाशी स्वरूप है वे सिद्ध भगवान है। चार घाती, चार अघाली इन आठों कर्मो का सय करने पर सिद्ध बनते हैं। आचार्य ने कहंा कि सिद्ध भगवंत अनंत गुण के स्वामी है। सूक्ष्म निगोद के बन्धन से हमारी आत्मा बाहरी निकली इन में उपकार सिद्ध भगवत का है। भगवान वहीं होते जो अरिहंत होते या फिर सिद्ध भगवंत होते है। हमारे कलेजे में इस बाण को जमा देती है। नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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