छठां दिन : सम्यग् दर्शन ही धर्म का प्रवेश द्वार है - आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

छठां दिन : सम्यग् दर्शन ही धर्म का प्रवेश द्वार है - आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन हो रहा है। आयड़ तीर्थ में 90 तपस्वी नवपद की आयंबिल ओली का सामूहिक तप कर रहे है।

नाहर ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने श्री नवपद की आराधना के छठे दिन नवपद की आराधना के विषय में बताया कि जैन शासन ने श्रद्धा गुण की व्याख्या ऐसी कि है कि सच क्या है और मिथ्या क्या है उसका विवेक करो और बाद में सच को ही सच मानो तथा मिथ्या को मिथ्या ही मानो यह है श्रद्धा। श्रद्धा को ही सम्यग्यदर्शन कहते है। सम्यग्य दर्शन के अभाव में कितने भी उपवासकरों, डायटिंग है तप नहीं, सम्यक दर्शन के अभाव में कितना भी दान करों खर्च ही है दान नहीं। सम्यक दर्शन के अभाव में दीक्षा भी ले लो व्यायाम ही है चारित्र नहीं। सम्यक दर्शन का महत्व स्थापित करते हुए उन्होने ककहां कि मानो कि सम्यकदर्शन मोक्ष का रिजर्वरेशन है और सम्यक दर्शन रहित धर्म क्रिया बिना लायसेंस की ड्राइविंग है। नवपद की आराधना करने पर श्रीपाल राजा का कुष्ट नाश हो गया ऐसे नवपद की आराधना का आज छठा दिन है और सम्यग् दर्शन की आराधना करती है। सम्चार दर्शन की आराधना से अशुद्ध भाव दूर हो जायेंगे, निर्मल भाव उदित होंगे और भावों की निर्मलता से भक्ति का निर्झर बहता है। सम्यग् दर्शन की आराधना ही मोक्ष मार्ग का सोपान है। दर्शन यानी जुद्धा, आस्था, विश्वास। जिस तरह से सुलसा जानिका को परमात्मा महावीर पर अटूट श्रद्धा थी। हमारी कोई भी क्रिया श्रद्धापूर्वक, विश्वासपूर्वक, आस्थापूर्वक होनी चाहिए। हम क्रिया तो करते हैं मगर द्रव्य क्रिया करते है। हमने कितनीटी बार मनुष्य भव प्राप्त किया, कितनी ही बार आराधना की, कितनी ही बार चारित्र ग्रहण किया, मेरु पर्वत जितने सोधे प्राप्त किये लेकिन अभी तक आत्मा का कल्याण नहीं हुआ।

नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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