नवां दिन : सम्यक तप भवसागर से पार उतरने के लिए नौका के समान है - आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

नवां दिन : सम्यक तप भवसागर से पार उतरने के लिए नौका के समान है - आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि गुरुवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन हो रहा है। आयड़ तीर्थ में 90 तपस्वी नवपद की आयंबिल ओली का सामूहिक तप कर रहे है। जिसका आज 18 अक्टूबर को सामूहिक पारणा कराया जाएगा।

गुरुवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने श्री नवपद की आराधना के अंतिम एवं नवें दिन सम्यक तप की आराधना की। साध्वियों ने सम्यक तप के विषय में बताया कि इस की आराधना से संसार से मुक्ति पाने की राह आसान हो जाती है। तप की आराधना से कर्म-निर्जरा का महत्वपूर्ण कारण है। तप से कर्मों की निर्जरा होती है। तप यानी इन्द्रिय रूपी चंचल घोड़े को वश करने वाली लगाम मदोन्मत्त मन रूपी हाथी को वश करने वाला अंकुश। कर्मरूपी जंजीर को तोडक़र मुक्ति रूपी मंजिल पर चढ़ाने वाला सोपान। जैन आगम में तप के दो प्रकार बताये गये हैं। बाध्य रूप, अभ्यन्तर रूपों बाह्य रूप यानि जिस तप में साधना का सम्बन्ध शरीर से अधिक प्रतीत होता है उसे बाहय तप कहते हैं। जैसे पच्चक्रवाण उपवास आदि । अणसण, उणोदरी, वृत्ति संक्षेप, रसत्याग, कायक्लेश और संकीणता ये छ: प्रकार के बाह्य तप हैं। अभ्यन्तररूप यानि जो लप लोगों को देखने में नहीं आता वह अभ्यन्तर तप है। जैसे प्रायश्चित, विनय, वैयावच्च, सज्झास, ध्यान और उपसर्गये छ: प्रकार के अभ्यन्तर तप हैं। इस प्रकार तप के बारह प्रकार हैं। इन्द्रिय और मन को वश में करना तप है इससे अन्तर्मुखी बनता है जिससे आत्म दर्शन सुलभ बन जाता है।

नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे। नाहर ने बताया कि 30 व 31 अक्टूबर को आयड़ तीर्थ में श्री भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण कल्याणक महोत्सव का आयोजन होगा और 1 नवम्बर को सामूहिक पारणा कराया जाएगा। वहीं 29 से 31 अक्टूबर तक महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर द्वारा सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन होंगें।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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