समाज युवा शक्ति को प्रतिभा का अवसर प्रदान करे-जिनेन्द्रमुनि
गोगुन्दा BHN.श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में उमरणा के स्थानकभवन में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि युवा शक्ति एक जोश ,उत्साह और सक्रियता का पुंज है।समाज और देश मे रीढ़ की हड्डी के समान महत्वपूर्ण अंग है।जब उसने करवट लेकर क्रांति का शंखनाद किया तब इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों का निर्माण किया है।उन्होंने कहा कि सही मार्गदर्शन करने वाले मिले तो स्वयं और राष्ट्र के लिए वरदान बन सकते है।मुनि ने कहा युवाओ को अनदेखा कर किसी भी क्षेत्र में सफलता त्रिकाल में भी संभवतया नही मिल सकती है।बुजुर्गों का कर्तव्य है कि अपने नेतृत्व में उनका उत्साहवर्धन करे,कार्य सेवा और प्रतिभा काउपयोग करने के लिएअवसर प्रदान करे।इनसे कुछ भूल भी हो जाये तो कोसने के बजाय अनदेखा कर कहे, कोई बात नही।आगे बढ़ो,उन्नति करो,सेवा करो,हमसे भी तो गलतियां होती है।युवाओ को मार्गदर्शन करें,ताकि उनके जीवन मे कुछ उपलब्ध हो सके।जैन संत ने कहा जहा आस्था होती है,श्रद्धा होती है वहाँ काम बहुत सरल हो जाता है।पंचपरमेष्ठी के प्रति आप आस्थावान रहेंगे।श्रद्धावान रहेंगे तो आपका जीवन निर्मल हो जाएगा ।पंचपरमेष्ठी नवकार मन्त्र में अनन्त शक्ति है।और युवा शक्ति को इसको स्मरण करावे।भीतर की आंख खुलती है तो भगवान दिखते है।पांच पदों का किया गया नमस्कार सभी पापो कोनष्ट करता है।पद लिप्सा और नेतृत्व की भुख ने समाज और देश को कहा का नही रखा।त्याग, बलिदान ,समर्पण और सेवा के भाव जहा पर अंतर्मन में विकसित हो जाएंगे, इनका जीवन धन्य और कृत्य कृत्य हो जाएगा।प्रवीण मुनि ने कहा कि व्यसन और फैशन के कीड़े समाज को खोखला कर रहे है।इसे चुनौती के रूप में स्वीकार नही किया तो 21वी सदी की मनोकामना धूमिल हो जाएगी।रितेश मुनि ने कहा युवाओ को स्वाभिमान का पाढ़ पढ़ाया जाना अति आवश्यक है।जैनमुनि ने कहा कि युवाओ को अत्यंत प्यार और विश्वास में लेकर यही असली सम्पति हमारी है।इनके साथ हिरे,पन्ने भी नगन्य है।धार्मिकता ,सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्रो में युवाओ को भागीदारी देना चाहिए।ऐसा नही होने पर युवा अपनी शक्ति को कही न कही अवश्य लगाएगा।यदि युवा शक्ति भटक गई तो उसके दोषी हम स्वयं होंगे।धर्म गुरु भी इस पर विशेष ध्यान दे।प्रभातमुनि ने कहा राष्ट्र में जन्म लेने वाला प्रत्येक भारतीय है और वह यहा का नागरिक है।प्रत्येक नागरिक के कुछ रास्ट्रीय दायित्व भी होते है उन दायित्वों को निभाना प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है।