आज की वैश्विक आवश्यकता है आयुर्वेद, नवाचारों से होगा विश्वविश्रुत - मालावत

उदयपुर, । देवस्थान विभाग के आयुक्त वासुदेव मालावत ने कहा है कि कोरोना काल के बाद एलोपेथी के प्रति आमजन की धारणा में बदलाव आया है, आयुर्वेद आज वैश्विक आवश्यकता है और नवाचारों के समावेश से इसे विश्वविश्रुत बनाया जा सकेगा।

मालावात गुरुवार को शहर के मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय नवम आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में ‘वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में नवाचार विषय’ पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर मालावत ने कहा कि आयुर्वेद जीवन जीने का विचार है और यह रोगों से बचाव का विज्ञान भी है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार और इसके लाभों को नवाचारों के माध्यम से पहुंचाने की जरूरत भी बताई। उन्होंने सुझाव दिया कि आयुर्वेद महाविद्यालय उदयपुर शहर की किसी एक कॉलोनी को गोद ले और यहां पर शत-प्रतिशत आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को पहुंचाने के लिए प्रयास करें।

समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जन-जन तक आयुर्वेद को पहुंचाने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष मनोज जोशी ने आयुर्वेद को नवाचारों से भरा हुआ बताया और कहा कि आज उदयपुर शहर में एलोपैथी की एक दो कंपनियां विद्यमान है जबकि आयुर्वेद की 25 फार्मेसी कार्यरत है। उन्होंने मौजूद विद्यार्थियों को आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए अपनी शक्तियों को पहचानने का आह्वान किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर महेश दीक्षित ने आयुर्वेद दिवस मनाने की आवश्यकता और इस वर्ष की थीम की जानकारी देते हुए विद्यार्थियों को आयुर्वेद में हो रहे नवाचारों से आमजन को अवगत कराने एवं नये नवाचार करने का आहवान किया । कार्यशाला में महाविद्यालय में अध्ययनरत शोध अध्येताओं द्वारा आयुर्वेद में वैश्विक दृष्टि से किये जा रहे नवाचारों को 30 प्रजेन्टेशन द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला का संचालन डॉ. किशोरीलाल शर्मा ने किया। कार्यशाला में महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों, शोध अध्येता एवं छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया ।

आयुर्वेद को 24 देशों में मिली कानूनी मान्यता :

कार्यशाला के संयोजक डॉ किशोरी लाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद को विश्व के 24 देशों में कानूनी मान्यता मिली है और 200 से अधिक देश आयुर्वेद को अपना रहे हैं। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य के लिए चुनौती दे रहे नॉन क्म्युनिकेवल डिसोर्डर , न्यूट्रिशनल डिसोर्डर, लाईफ स्टाईल डिसोर्डर एवं एजिंग डिसोर्डर से वचाव एवं रोकथाम के लिए आयुर्वेद द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में बताया ।

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