यह मानव जीवन बड़ा अनमोल है-प्रमाद में न खोना : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

यह मानव जीवन बड़ा अनमोल है-प्रमाद में न खोना : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि वहीं 29 से 31 अक्टूबर तक महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर द्वारा सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन होंगें।

शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने तप की महिमा को बताते हुए कहा कि चरम तीर्थपति भगवान महावीर की अंतिम देशना, जो आज भी उत्तराध्ययन सूत्र के रूप में विद्यमान है, उसी उत्तराध्ययन सूत्र के चौथे अध्ययन में मानव जीवन की क्षणभंगुरता का निर्देश करते हुए भगनान महावीर परमात्मा ने गौतम स्वामी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार शरद ऋतु में घास के अग्र भाग पर रहे हुए जलबिंदु का अस्तित्व एक क्षणभर के लिए होता है। सूर्य की लाप की एक किरण मात्र से ही उसका अस्तित्व सदा के लिए समाप्त हो जाता है उसी प्रकार मानव जीवन का भी अस्तित्व क्षणभंगुर यानी एक क्षण में नष्ट हो जाने के स्वभाव वाला हैं। आयुष्य की इस क्षणभंगुरता को जानकर प्रमाद के वशीभूत होने जैसा नहीं है, क्योंकि जब आयुष्य ही नहीं रहेगा तो धर्म आराधना के तुम्हारे जो-जो - मनोरथ है वे कैसे पूर्ण हो सकेंगे? आत्म साधना के लिए जिस प्रकार पाँच इन्द्रियों की परिपूर्णता, शारीरिक आरोग्य आदि की अपेक्षा रहती है, उसी प्रकार - आयुष्य का अस्तित्व भी बहुत जरूरी है, यदि आयुष्य ही नहीं होगा तो तुम धर्म साधना कैसे कर पाओगे? अत: थोड़ा भी प्रमाद करने जैसा नहीं है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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