संतों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। आयड़ तीर्थ में प्रभु महावीर स्वामी की अंतिम देशना पर आधारित प्रवचन की धारा बरस रही है और कई श्रावक-श्राविकाएं इसका लाभ ले रहे है।

नाहर ने बताया कि बुधवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने अंतिम देशना का विवरण करते हुए कहां कि सांसारिक सुख की इच्छा से धर्म करो तो धर्म भी जहर है और मोक्ष पाने की इच्छा से धर्म करो तो धर्म अमृत के समान है। कई शास्त्र ग्रंथ एवं प्रभु महावीर द्वारा प्ररूपित आठ स्वप्न के फलादेश में से तीन स्वप्न का फलादेश किया। 121 भक्त आयड़ में निवार्ण कल्याणक का समूह तेला कर रहे है। नाहर ने बताया कि 29 से 31 अक्टूबर तक महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर द्वारा सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन श्रृंखला जारी है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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