ज्ञान आत्मा की चेतना है, इससे विनय की प्राप्ति होती है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि बुधवार 6 नवम्बर को ज्ञान पंचमी के अवसर विशेष अनुष्ठान का आयोजन हुआ।
मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने कहां कि सरस्वती देवी ज्ञान नहीं देती किन्तु ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से ज्ञान मिलता है और वह पाने के लिए ज्ञान व ज्ञानी का विनय करना चाहिए। ज्ञान की आशातना से बचना चाहिए। ज्ञान की आशातना के कई प्रकार है जैसे जुठे मुंह बोलना नहीं चाहिए, मोबाईल जेब में लेकर वॉशरूम नहीं जाना चाहिए, मोबाईल देखते हुए खाना-पीना नहीं चाहिए। ज्ञान आत्मा की चेतना है इससे विनय की प्राप्ति होती है, ज्ञान की उपेक्षा जिनशासन की अवनिति की निशानी है।
चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।