कला भी एक कठिन तपस्या है, कलाकार कहीं भी फौजियों से कम नहीं - कविता सेठ
उदयपुर । इकतारा और तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्ही हो फिल्मी गीत से मशहूर हुई बॉलीवुड फिल्मों की पार्श्व गायिका कविता सेठ लेकसिटी के दौरे पर पहुंची। इस दौरान कला-संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन के लिए समर्पित कश्ती फाउंडेशन प्रतिनिधियों ने कविता से मुलाकात कर उनका अभिनंदन किया और कला व गीत-संगीत विषय पर लंबी चर्चा की।
इस मौके पर कविता ने कहा कि कला भी अनोखी तपस्या है, कलाकार भी फौजियों से कम नहीं होते, कलाकारों को भी जीवन में भी अलग-अलग मोर्चाें पर अनेक प्रकार के संघर्षों से सामना करना पड़ता है। मूलतः बरेली की निवासी कठिता ने कहा कि शादी के बाद डीपीएस की नौकरी छोड़कर दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में अपनी गायिकी से सबको प्रभावित करना शुरू किया और यहीं से इनकी गायन प्रतिभा को नयेेे रास्ते मिलने लगे। वर्तमान में सूफी म्यूजिकल ग्रुप कारवां का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रही कविता सेठ ने गीत, गजल के साथ लोक गीत भी गा रही है और आपने लंदन स्कॉटलैंड ओस्लो बर्लिन में भी पब्लिक शो किए।
कश्ती फाउंडेशन के प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए कविता ने कहा कि देश के भविष्य युवाओं को कला की ओर मोड़ना बेहद जरूरी है। उन्होंने कश्ती फाउंडेशन द्वारा 5 सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ युवा कलाकारों को मंच प्रदान करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि वे भी इस प्रकार के संगठन से जुड़ने में रूचि रखती हैं। उन्होंने वर्तमान युग में कला और कलाकारों के संरक्षण-संवर्धन के प्रयासों की जरूरत बताई और कलाकारों को उचित मंच उपलब्ध कराने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि वे भी एक स्कूल टीचर रहीं हैं और उन्हांेने नौकरी छोड़कर गायन की ओर उन्मुख हुई और मुकाम हासिल किया। इसी प्रकार से हर व्यक्ति को अपनी पसंदीदा कला में हाथ आजमाना चाहिए।
इस अवसर पर कश्ती फाउंडेशन की ओर से हेमंत जोशी, डाॅ. कमलेश शर्मा, संदीप राठौड़, नीलोफर मुनीर आदि ने कविता को फाउंडेशन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और स्मृति चिह्न भेंटकर अभिनंदन किया।
उल्लेखनीय है कि कविता के दो सूफी गजल एलबम, वो एक लम्हा तथा दिल ए नादान भी जारी हुए हैं। सूफियाना और हजरत कविता के अन्य एलबम हैं। कविता को स्टार स्क्रीन अवार्ड तथा इंटर नेशनल इंडियन फिल्म अकेडमी अवार्ड भी मिल चुके हैं।