सांसद डॉ मन्नालाल रावत के प्रश्न पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री ने दिया जवाब

उदयपुर, । पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उदयपुर को रामसर साइट के रूप में नामांकित कराने के लिए रामसर सचिवालय को प्रस्ताव भेज रखे हैं। वहीं नगर निगम उदयपुर की ओर से झीलों के प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।

यह जानकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने उदयपुर सांसद डॉ मन्नालाल रावत के संसद में पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में दी। केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा राष्ट्रीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण योजना (एनपीसीए) स्कीम के तहत राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। मंत्रालय ने देश भर में आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन हेतु विनियामक ढांचे के रूप में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 अधिसूचित किया है ताकि आर्द्रभूमियों की पारिस्थितिकी विशेषताओं को संरक्षित, प्रबंधित और अनुरक्षित किया जा सके। उक्त नियमों द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ, ठोस अपशिष्ट की डंपिंग, उद्योगों, शहरों, कस्बों, गांवों और अन्य मानव बस्तियों से अनुपचारित अपशिष्ट और बर्हिस्राव के निस्सरण जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाता है। इसके अलावा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वैच्छिक आर्द्रभूमि शहर प्रत्यायन योजना के तहत आर्द्रभूमि शहर प्रत्यायन हेतु रामसर सचिवालय को भारत के उदयपुर, राजस्थान के नामांकन का प्रस्ताव भेजा है।

राजस्थान राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, नगर निगम, उदयपुर द्वारा झील के संरक्षण और जल प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उदयपुर शहर में 202.77 किमी. की सीवर लाइन बिछाई गई है। अपशिष्ट जल के शोधन के लिए 40 एमएलडी क्षमता वाले 03 मलजल शोधन संयंत्रों का निर्माण किया गया है और झीलों में अपशिष्ट जल को बहने से रोकने के लिए पिछोला झील के आसपास 7 पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं।

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