विदेशी सैलानियों के भी आकर्षण का केंद्र बना महोत्सव, आए और की जमकर खरीदारी

विदेशी सैलानियों के भी आकर्षण का केंद्र बना महोत्सव, आए और की जमकर खरीदारी
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उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के हवाला-शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम महोत्सव के छठे दिन गुरुवार को मुक्ताकाशी मंच पर सैकड़ों लोक कला एवं संगीत प्रेमियों ने विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों और अन्य फोक प्रस्तुतियों का जमकर लुत्फ उठाया। साथ ही, लोक धुनों पर खूब जमकर झूमे। केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि लोक के रंग-लोक के संग थीम पर आधारित महोत्सव में देश के कोने कोने की लोक संस्कृति देखने दर्शक उमड़ने लगे हैं। खान बताते हैं कि जहां मेलार्थी सुबह से शाम तक स्टाल्स पर शिल्पकारों के उत्पाद देख व खरीद रहे हैं, वहीं शाम को लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां देखने में भी बहुत रुचि दिखा रहे हैं।

‘लोक के रंग-लोक के संग’ थीम से सजे देश भर की लोक संस्कृति से लबरेज शिल्पग्राम महोत्सव में छठा दिन भी दर्शकों के लिए यादगार बन गया। गुरुवार को मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक सांझ सवा पांच बजे से सज गई। इसमें तमिलनाडु में देवता मुरुगन (भगवान कार्तिकेय) को रिझाने वाला डांस कावड़ी कड़गम, ओडिशा के पश्चिमी इलाकों में हर पर्व-त्योहार और मांगलिक अवसरों पर हाेने वाले संबलपुरी नृत्य पर दर्शक झूम उठे। वहीं, मणिपुर के चेरोल जागोई थांग-ता, पश्चिम बंगाल के राय बैंश और नटुआ (शिव स्तुति) में मार्शल आर्ट का रोमांचक प्रदर्शन देख दर्शक खूब रोमांचित भी हुए और तालियों से िशल्पग्राम गूंजा दिया। इनके साथ ही मणिपुर का पुंगल ढोल चोलम में पुंग-ढोल की जहां खूबसूरत संगत दिखी, वहीं डांसर्स ने खूबसूरत नृत्य से दर्शकों का दिल जीत लिया।

बिहू डांस में दर्शक हुए असमी संस्कृति से रूबरू-

देश के तमाम राज्यों में, चाहे वह हरियाणा हो, राजस्थान हो, असम हो या कोई भी प्रदेश, वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां वाकई लोक संस्कृति बसती है, वहां फसल कटने के बाद उमंग से लोक नृत्य करने ना-ना प्रकार के व्यंजन खाने और नई पोशाकें पहनने की परंपरा रही है। इसकी बानगी गुरुवार को पश्चिम क्षेत्र संस्कृति केंद्र, उदयपुर के ‘शिल्पग्राम महोत्सव’ में मुक्ताकाशी मंच पर तब दिखाई दी, जब डांसर्स ने हरियाणवी घूमर और असम के बिहू डांस पर कदमों की खूबसूरत लयकारी दिखाई। तो, गुजरात के राठवा और ओडिशा का भगवान जगन्नाथ को समर्पित गोटीपुआ नृत्यों में नर्तकों ने एक्रोबेटिक करतबों के डांस में सम्मिश्रण का बेहतरीन प्रदर्शन कर दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी।

इन प्रस्तुतियों से पूर्व कार्यक्रम का आगाज नगाड़ा वादन, गरासिया डांस वालार, पुरुलिया छाऊ नृत्य और मांगणियार गायन और मारवाड़ी सफेद आंगी गेर से हुआ, इन प्रस्तुतियों पर तमाम सामयिन झूम उठे। वहीं, सफेद आंगी गेर में चंग की धुन और गेरियों के नृत्य ने दर्शकों को होली पर होने वाली बच्चों की ढूंढ की याद दिला दी। दरअसल, यह गेर किसी भी परिवार के बच्चे की पहली होली पर होने वाली ढूंढ पर की जाती है।

दर्शकों ने ठहाके भी लगाए-

मुक्ताकाशी मंच पर दर्शक जहां लोक गीत-संगीत और नृत्य के साथ ही हास्य रस से भी रूबरू हुए। हास-परिहास से परिपूर्ण मुकाभिनय ‘माइम’ ने दर्शकों को इतना गुदगुदाया कि कुछ ही पलों में लोगों ने कई बार ठहाके लगाए। इसके साथ ही बहरूपिया प्रदर्शन ने भी दर्शकों को खूब हंसाया।

विदेशी सैलानी बोले- वाओ! वेरी नाइस... वंडरफुल-

केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि इस मर्तबा भारतीय संस्कृति और परंपरागत हस्तशिल्प के प्रति विदेशियों का भी रुझान देखा जा रहा है। प्रतिदिन विदेशी सैलानी आ रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को हॉलैंड (नीदरलैंड) की युवतियों जेसिका, कैयरा और युवक रायनियर ने हस्तशिल्पियों के स्टाल्स पर उत्पाद देखे, उन्हें सराहा और खरीदारी भी की। जब उन्हें केंद्र के उप निदेशक (कार्यक्रम) पवन अमरावत, सीएल साल्वी (अधीक्षण अभियंता) और दुर्गेश चांदवानी (सहायक निदेशक-वित्त एवं लेखा) ने उत्पादों के संबंध में पूछा तो इन्होंने एक स्वर में कहा- वाओ! दिस इज वेरी नाइस एंड एट्रेक्टिव। इसी तरह न्यूजीलैंड के कपल जोनाथन और यास्मीन ने बहुत खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘वंडरफुल फेस्टिवल, वी आर परचेसिंग मेनी आइटम्स हियर।’

‘हिवड़ा री हूक’ में उमड़ रही प्रतिभाएं-

शिल्पग्राम के बंजारा मंच पर चल रहे ‘हिवड़ा री हूक’ में हर संगीत प्रेमी को अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका मिल रहा है। यह ‘हूक’ प्रोग्राम 29 दिसंबर तक रोजाना दिन में 12 बजे से दोपहर 4 बजे तक चलेगा। इस कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी यानी क्विज भी हर आर्ट लवर को खूब लुभा रही है। इसमें सही जवाब देने वाले कला प्रेमियों को ‘शिल्पग्राम मोमेंटो’ से नवाजा जा रहा है।

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