प्रताप सिंह बारहठ की जयंती पर स्वेच्छिक रक्तदान शिविर एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित

उदयपुर। अमर बलिदानी क्रांतिकारी कुंवर प्रताप सिंह बारहठ जयंती एवं बलिदान दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विशाल स्वेच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। रक्तदान शिविर आयोजनकर्ता चारण धर्मांश समिति के डॉ नरेन्द्र देवल ने बताया कि शिविर में रक्तदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर 161 युनिट रक्तदान किया और बारहठ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर महान स्वतंत्रता सेनानी को नमन किया। कार्यक्रम में जितेंद्र सिंह चारण, भरत सिंह उज्ज्वल, मुरलीधर सौदा, राघवेन्द्र सिंह बरवाड़ा, टीम भरत सिंह बरवाड़ा, डॉ सुयश वर्धन सिंह, नरेंद्र सिंह राबचा, संजय सिंह सौदा, बजरंग सिंह कविया, वाग्मी कुमार सहित चारण धर्मांश समिति उदयपुर इकाई और रॉयल्स व गुड वन्स ग्रुप के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
अंग्रेजी हुकूमत को चुनौति दी थी पूरे बारहठ परिवार ने
डॉ देवल ने बताया कि उदयपुर में जन्मे कुंवर प्रताप सिंह बारहठ व उनके पिता प्रख्यात क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ, काका जोरावर सिंह बारहठ सहित पूरे परिवार ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। देश में गुरु गोविंद सिंह के बाद एकमात्र ऐसा परिवार है जिसके सभी सदस्यों ने अपनी आहुति दी। शहीद भगत सिंह भी कुंवर प्रताप सिंह बारहठ को अपना आदर्श मानते थे। यह बात उनके भांजे प्रो. जगमोहन ने कई मौकों पर बताई। साथ ही स्वतंत्रता सैनानियों की महान पुस्तक बंदी जीवन में शचींद्रनाथ सान्याल ने कुंवर प्रताप सिंह बारहठ को विलक्षण व्यक्तित्व का बताते हुए कहा कि प्रताप टूट गया पर झुका नहीं। अमानवीय यातना सहन करते करते हुए उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये पर अपने साथियों के नाम अंग्रेजी हुकूमत को नहीं बताए। कुंवर प्रताप सिंह बारहठ के यह शब्द कालजयी बन गए कि "एक माता को हंसाने के लिए में हजारों माताओं को रूला नहीं सकता"।