भागवत कथा में कृष्ण रुक्मणि विवाह प्रसंग सुनाया

उदयपुर । महर्षि गौतम भवन,सेक्टर 4 में चल रही संगीतमय भागवत कथा में छठे दिन पुष्कर दास महाराज ने कहा कई लोग कथा में बैठते है परन्तु मन कही और होता है। विचारों की भीड़ सभी जगह है। विचार अपने लोगों के होते हे द्य मां को बेटे का,पत्नी को पति का,माता पिता को बच्चों का विचार रहता है। सत्संग में बैठने से हमारे विचारों का शमन होता है। सत्संग से हमे जीवन जीने का ज्ञान होता है । भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर पार्वती के साथ राम के नाम का जप करते है। जिसने सत्य को पकड़ा उसने ईश्वर को पकड़ा। सूरदासजी में इतनी भक्ति करने के बाद भी अहंकार नहीं था। हरी कहते है जो मुझे मन से भजता है में उसका चाकर बन जाता हु। सत्कर्म में लगा हुआ पैसा लक्ष्मी कहलाती है । ये हमारा सौभाग्य हे जो हमे सत्संग और भगवान के दर्शन का लाभ मिल रहा है । कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज ने कहा कृष्ण ने दावा नल अग्नि का पान किया । जिसकी आत्मा हर दम हरी चित्त में लगी रहे वही गोपी है । कथा में रास लीला का वर्णन किया । आगे भगवान द्वारकाधीश रूक्मणी जी का हरण करके ब्याह रचाते हे और कथा में रूक्मणी विवाह के प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया गया ओर सुंदर झांकी का मंचन भी किया गया । कथा में सांसद मन्नालाल रावत, कुलपति अजय शर्मा, तन्मय महाराज, राकेश जोशी, प्रहलाद महाराज आदि उपस्थित रहे।