परमात्मा भक्ति से पुण्य की कमाई होती है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज

परमात्मा भक्ति से पुण्य की कमाई होती है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज
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उदयपुर। जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा 5 जंबूद्वीप टावर से विहार कर श्री शांतिनाथ जैन संघ हिरण मगरी सेक्टर नं 3 में मंगल प्रवेश हुआ। कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि श्री संघ के द्वारा गाजे-बाजे के साथ प्रथम बार पधारे जैनाचार्य श्री का भावभरा हार्दिक स्वागत किया। प्रात: 9.30 बजे महावीर भवन में धर्मसभा का आयोजन हुआ। प्रारंभ में पूज्य पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय महाराज ने प्रभु भक्ति में ही धन की सफलता बताते हुए प्रासंगिक प्रवचन दिया।

फिर जैनाचार्य श्री रत्नसेन सूरीश्वर जी ने प्रवचन देते हुए कहा कि संसार में जीवों को जो कुछ भी सुख प्राप्त होता है वह पुण्य का ही प्रभाव है। जब तक पुण्य का साथ है, तब तक लाखों दुश्मनों के बीच में भी व्यक्ति सुरक्षित है और पुण्य पूर्ण हो जाने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच में भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। अत: सद्गृहस्थ को अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा पुण्य की कमाई के शुभ कार्य करने चाहिए। जैसे भोजन में उपयोग किये गए अनाज के दाने दूसरे दिन नष्ट हो जाते है, परंतु वही अनाज को खेत में बोया जाय, तो वह लाखों गुना फल देता है।, वैसे ही पुण्य से प्राप्त हुई नश्वर लक्ष्मी का यदि हम अपने भोग सुख में उपयोग करते है, तो वह लक्ष्मी व्यर्थ जाती है। परंतु यदि उस लक्ष्मी को धर्म के शुभ कार्य में उपयोग करते है तो वह जन्मो जन्म तक परम सुखदायी एवं परंपरा से मोक्ष सुख फल प्रदायी बनती है। परमात्मा भक्ति से पुण्य की खेती होती है।

सुख के साधन तो आज है और कल नहीं, परंतु प्राप्त हुए परमात्म भक्ति के शुभ अवसर में लक्ष्मी का सद्व्यय करने से वह लक्ष्मी भी सफल बनती है। इस दुनिया को सर्वोच्च सुख का मार्ग बताने वाले परमात्मा है। उनकी भक्ति में अपनी शक्ति का उपयोग करके मानव जीवन को सफल बनाना चाहिए। इस अवसर श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर, कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, जैन श्रावक समिति अध्यक्ष आनंदीलाल बम्बोरिया, भूपाल सिंह दलाल, जीवन सिंह कंठालिया सहित कार्यकारिणी सदस्य आदि भी उपस्थित रहे।

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