आदमी साधनों से नहीं साधना से श्रेष्ठ बनता है : साध्वी जयदर्शिता

आदमी साधनों से नहीं साधना से श्रेष्ठ बनता है : साध्वी जयदर्शिता
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उदयपुर । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। नाहर ने बताया कि बाहर से दर्शनार्थियों के आने का क्रम निरन्तर बना हुआ है, वहीं त्याग-तपस्याओं की लड़ी जारी है। नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 36 आचार्यों के पगलिया जी बनाकर उनके 36 गुणों की अष्ट प्रकार की पूजा अर्चना की गई। उसके बाद सभी तपस्वियों का सामूहिक एकासना का आयोजन हुआ।

आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि आदमी साधनों से नहीं साधना से श्रेष्ठ बनता है। भवना से नहीं भावना से श्रेष्ठ बनता है। उच्चारण से नहीं उच्च आचरण से श्रेष्ठ बनता है। तीर्थंकर ने पांच कल्याण किए इसलिए पूज्य है। जिनके कल्याणक होते वह तीर्थंकर होते है साधारण मनुष्यों के कल्याण नहीं होते है। हमे भी भावना भानी है कि मैं भी तीर्थंकर बन जाऊ एवं मोक्ष को प्राप्त करु। संघर्ष करना है मोक्ष मार्ग पर करना, मनुष्य की चाल धन से भी बदलती है और धर्म से भी बदलती है अगर मनुष्य के पास धर्म नहीं है तो कुछ भी नहीं है। धर्म के चार प्रकार है जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। जिसने पुण्य किया है वह हमेशा उत्तरोत्तर तरक्की करता रहता है।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

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