दिगम्बर जैन समाज के दशलक्षण पर्व शुरू, पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म दिवस मनाया

उदयपुर। राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ससंघ का चातुर्मास सर्वऋतु विलास मंदिर में बड़ी धूमधाम से आयोजित हो रहा है । इसी श्रृंखला में गुरुवार को पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म दिवस मनाया गया, दशलक्षण पर्व 06 सितंबर तक चलेंगे । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर के सानिध्य में टाउन हॉल में पाप नाशनम शिविर शुरू हुआ, जिसमें 700 शिविरार्थियों ने एक जैसे वस्त्र पहन कर शिविर में भाग लिया । चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फांदोत ने बताया कि पहली बार आचार्य पुलक सागर महाराज के सानिध्य में दिगम्बर समाज के सभी पंथों का पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है, जिसमें 5 मंदिरों की प्रतिमाओं को बुधवार सायं 4.30 बजे सर्वऋतु विलास मंदिर से शोभायात्रा के रूप में पालकी में टाउन हॉल लाया गया । कार्यक्रम की श्रृंखला में प्रात: 5.30 बजे प्राणायाम, प्रातः: 7.30 बजे अभिषेक हुआ, उसके बाद शांतिधारा एवं पूजन सम्पन्न हुई । प्रात: 9.30 बजे आचार्यश्री का विशेष प्रवचन उत्तम क्षमा धर्म पर हुआ, जिसमें आचार्यश्री ने कहा कि क्षमा में माँ छिपी है। जिस प्रकार एक माँ अत्यन्त क्षमाशील होती है, उसी प्रकार धर्म के प्रमुख दस लक्षणों में उत्तम क्षमा की शक्ति अनन्त और अतुल्य है। उत्तम क्षमा साधुता की परिचायक है । साधु धर्म के इस महालक्षण का पालन दृढ़ता से करते हैं। श्रावक और साधक को जीवन में क्रोध पर विजय पाने के लिए क्षमा का गुण अपनाना चाहिए। धर्म क्षमा है और चर्चा क्रोध की हो तो सुनने में अचरज भरा लग सकता है, लेकिन क्षमा के गुण के ज्ञान हेतु चर्चा क्रोध की होना पूर्णत: मनोवैज्ञानिक है, क्योंकि सारी दुनिया जितनी क्रोध से परिचित है, उतनी क्षमा से नहीं है। यह नियम है कि हमेशा परिचित से अपरिचित का ज्ञान होता है इसलिए अपरिचित क्षमा को समझने के लिए चिर परिचित अनुभूत क्रोध को समझना आवश्यक है। क्रोधादि कषाय हर भूमिका में बुरे थे, बुरे हैं और बुरे रहेंगे इसलिए पर्युषण महापर्व अपनी सार्वभौमिकता को भी प्रमाणित करता है। वैदिक धर्म कहता है कि एक दिन सृष्टि का विनाश होगा, जैन धर्म भी कहता है, महाप्रलय होगा। कुरान कहती है कि कयामत आएगी। मिटना संसार का स्वभाव है। परिवर्तन सृष्टि की प्रकृति है। वो कौन है जो हमें बोलना, चलना, देखना और जानना सिखाता है? भूख और प्यास का आभास देने वाली शक्ति कौन है? वो तत्त्व कौनसा है, जो जीवन प्रदाता है तथा हमारे जीवन से निकल जाए तो सम्पूर्ण जीवन सारहीन हो जाता है? इन सबका उत्तर पाने के लिए हमें परमात्मा की शक्ति पहचानने वाली साधना की शरण लेनी होगी।
चातुमार्स समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी एवं प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि प्रवचन के बाद 10.30 बजे सिंधी धर्मशाला में सभी साधकों का भोजन, दोपहर 12.30 बजे सामायिक मंत्र जाप, दोपहर 2 बजे धार्मिक प्रशिक्षण, शंका समाधान, तत्व चर्चा हुई । सायं 7.30 बजे गुरु भक्ति एवं श्रीजी की महाआरती हुई । उसके बाद प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए । इस अवसर पर विनोद फान्दोत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
