पाप क्रिया को छोडऩा एक बात है और पापबुद्धि को छोडऩा दूसरी बात है : साध्वी जयदर्शिता

उदयपुर। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
नाहर ने बताया कि रविवार 7 सितम्बर को चैत्य परिपाटी का आयोजन होगा जिसमें आयड़ जैन मंदिर से गाजे-बाजे के साथ 100 फिट रोड स्थित आदिनाथ जैन मंदिर जाएगें जहां चैत्य वंदन पूजन का आयोजन होगा उसके बाद शोभायात्रा पुन: आयड़ तीर्थ पर पहुंचेगी जहां सभी धर्मावलम्बियों की नवकारसी होगी।
शनिवार को आयड़ तीर्थ पर साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने कहा कि धर्म आपके मन में तभी ही प्रवेश पाएगा जब पाप बुद्धि आपके मनोभावों में से हर जाएगी। पाप बुद्धि के रहते जो भी धर्मक्रिया करोगे वे नाटक शी बनी रहेगी, धर्म नहीं हो पाएगी इसीलिए पाप बुद्धि को छोड़ो। सिर्फ पापक्रिया छोडऩा नहीं है, पाप बुद्धि को भी छोडऩा है। दोनों बात भिन्न-भिन्न है और इनमें पाप बुद्धि का त्याग ज्यादा जरूरी है ऐसा भी बताया ।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, संजय खाब्या, भोपाल सिंह परमार, सतीश कच्छारा, चतर सिंह पामेचा, राजेन्द्र जवेरिया, अंकुर मुर्डिया, पिन्टू चौधरी, हर्ष खाब्या, गजेन्द्र खाब्या, नरेन्द्र सिरोया, राजू पंजाबी, रमेश मारू, सुनील पारख, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागौरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, गोवर्धन सिंह बोल्या, दिनेश भंडारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।
