मन्नत और धर्म भिन्न-भिन्न चीज है : साध्वी जयदर्शिता

मन्नत और धर्म भिन्न-भिन्न चीज है : साध्वी जयदर्शिता
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उदयपुर BHN तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।

सोमवार को आयड़ तीर्थ पर साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने कहा कि भगवान के पास या गुरु के पास आप सांसारिक सुख मांगते हो तो आपका धर्म धर्म नहीं रहता किन्तु मन्नत बन जाता है। मन्नत में धर्म नहीं होता और धर्म में मन्नत नहीं होती क्योकि मन्नत रखने वाला कुछ पाने के लिए धर्म का उपयोग करता है जो कि शुद्ध आस्था से विपरित है। आचार्य ने उत्तराध्ययन सूत्र के 16 वें एवं 29वें अध्ययन के रेफरन्स बनाकर शुद्ध आस्था का स्वरूप के बारे में समझाया। बाहर से दर्शनार्थियों के आने का क्रम निरंतर बना हुआ है।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, संजय खाब्या, भोपाल सिंह परमार, सतीश कच्छारा, चतर सिंह पामेचा, राजेन्द्र जवेरिया, अंकुर मुर्डिया, पिन्टू चौधरी, हर्ष खाब्या, गजेन्द्र खाब्या, नरेन्द्र सिरोया, राजू पंजाबी, रमेश मारू, सुनील पारख, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागौरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, गोवर्धन सिंह बोल्या, दिनेश भंडारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

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