रामायण के माध्यम से बच्चों को सही संस्कार देने की जरूरत : पुष्कर दास महाराज

रामायण के माध्यम से बच्चों को सही संस्कार देने की जरूरत : पुष्कर दास महाराज
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उदयपुर, । हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित रुद्रेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण जेके ब्लॉक में संगीतमय रामकथा के छठे दिन पुष्कर दास महाराज ने कहा कि जो भी शास्त्र लिखे गए वो संतों ने अपने अनुभव से लिखे, संसारी प्राणी को व्यवस्थित करने के लिए ग्रंथों की रचना की गई। कलयुग में अधर्म का भंडार है, जहां भगवान कृष्ण हे वहां तो जय है। सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं, सुख मिलने पर आदमी भगवान को भूल जाता है। अंहकार के कारण सत्संग में व्यक्ति कुछ भी नहीं पा सकता, साधु संतों के सामने सभी को झुक कर रहना चाहिए, शास्त्र तो सभी के घर में है परन्तु मंथन नहीं हो रहा ओर जब तक मंथन नहीं होगा तब तक शास्त्रों का रहस्य समझ में नहीं आएगा । जहां पर दया है वहां ईश्वर है, सत्संग में बैठने से मन को राहत मिलती है। जिस तरह मछली पानी के बिना रह नहीं सकती भक्त भी उसी तरह सत्संग बिना रह नहीं सकता । आगे राम की बाल लीला की व्याख्या करते हुए महाराज ने कहा जिस तरह प्रभु राम में बचपन से गुणों का सागर था उसी तरह आजकल बच्चों को सही संस्कार देने की जरूरत है। बच्चे की पहली गुरु मां होती है। आजकल बच्चे नशे की ओर ज्यादा प्रभावित हो रहे है, कथा के माध्यम से घर घर में माता पिता को बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को झुकना सीखना चाहिए, बहु सास को झुके, बेटा पिता को झुके, तो घर में बच्चे भी बड़ों का आदर करेंगे। इसकी पहली शुरुआत माता पिता को करनी चाहिए । आज के विज्ञान के जमाने में बच्चे मोबाइल की ओर ज्यादा प्रभावित हो रहे इससे उन्हें दूर रहने की जरूरत है। सत्संग में बैठने से दुख कम होता है। गुरु की फटकार जो सहन कर लेता है वह जीवन में कभी दुखी नहीं हो सकता । राम की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा कि घर परिवार वालो के लिए ईश्वर आनंद बहुत ही सुलभ है । मनुष्य रूप धारण करके जो लीलाएं करी वो सब के घर में किसी न किसी रूप में हो रही है ।

विठ्ठल वैष्णव ने बताया बुधवार को कथा में अतिथि के रूप में पूर्व उपमहापौर लोकेश द्विवेदी, शहर जिला उपाध्यक्ष जगदीश शर्मा, प्यारेलाल दलाल, रमेश सिंह, कृष्ण गोपाल द्विवेदी, बसंत चौबीसा, जगदीश मेनारिया आदि उपस्थित रहे ।

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