लोक कला जीवन का असली आलोक है: राज्यपाल बागडे

लोक कला जीवन का असली आलोक है: राज्यपाल बागडे
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उदयपुर, । राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने कहा कि लोक है तो आलोक है और लोक कला जीवन का असली आलोक है, क्योंकि इसमें कोई बनावट नहीं, नैसर्गिकता है। उन्होंने उपस्थित अधिकारियाें सहित सभी का आह्वान किया कि बच्चों को कला एवं संस्कृति की शिक्षा दें, उन्हें मंच पर मौका दें, ताकि वे लोक संस्कृति को आगे बढ़ा सकें और इसे संरक्षित कर सकें।

वे रविवार को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर की ओर से हवाला स्थित शिल्पग्राम में आयोजित हो रहे दस दिवसीय ‘शिल्पग्राम उत्सव’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने समारोह में अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर समारोह का तथा नगाड़ा बजाकर शिल्पग्राम उत्सव का आगाज किया।

उन्होंने बचपन में मिले प्रोत्साहन से महान शिल्पकार बनने के संबंध में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” बनाने वाले राम वी. सुतार का उदाहरण भी दिया।








महोत्सव एक भारत-श्रेष्ठ भारत का जीवंत प्रतीक: कटारिया

समारोह के अतिविशिष्ट आमंत्रित अतिथि पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह सांस्कृतिक महोत्सव एक भारत-श्रेष्ठ भारत का जीवंत प्रतीक है। ऐसे मेले देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को आगे ले जाने में महती भूमिका निभाते हैं। मेले के इस स्वरूप में सभी आयु वर्ग वालों को कुछ न कुछ अवश्य मिलता है।

उन्होंने लोक कलाकारों का अपने शहर में स्वागत करते हुए कहा कि इनकी लोक कला को देख संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन दायित्व बोध होता है। उन्होंने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम की उत्सव के निरंतर सफल आयोजन की तारीफ की। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए उत्सव के संबंध में जानकारी दी। साथ ही, अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए।




दोनों राज्यपालों ने किया एक-दूसरे का स्वागत-

समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र अध्यक्ष बागडे ने पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया का स्वागत करते हुए उनका समारोह में आने के लिए आभार व्यक्त किया। वहीं, अपने संबोधन में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने उदयपुर का नागरिक होने के नाते राजस्थान के राज्यपाल बागडे का अपने शहर में स्वागत करते हुए उनका आभार जताया।

ये भी रहे मौजूद-

समारोह में उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन तथा उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा भी समारोह में मौजूद रहे।

दो कलाकारों को लोक कला पुरस्कार-

समारोह में डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार राजकोट (गुजरात) के डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु और जयपुर (राजस्थान) के रामनाथ चौधरी को प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार में प्रत्येक को एक रजत पट्टिका के साथ ही 2.51 लाख रुपए की राशि प्रदान की गई।

पुरस्कृत जयपुर के रामनाथ चौधरी अल्गोजा नाक से बजाने वाले दुनिया के अकेले कलाकार हैं। वहीं, राजकोट (गुजरात) के डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु ने लोक एवं भक्ति संगीत पर फिल्ड वर्क कर 700 घंटे का ध्वनि मुद्रांकन किया है।

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विभिन्न लोक संस्कृतियां हुई साकार, कथक-फोक फ्यूजन को मिला दर्शकों का प्यार-

समारोह में कोरियोग्राफिक प्रस्तुति में गोवा के देखनी व घोड़े मोदनी, मणिपुर के लैहारोबा, कश्मीर के रौफ, राजस्थान के लाल आंगी व चरी, कर्नाटक के पूजा कुनिता व ढालू कुनिता, महाराष्ट्र के सोंगी मुखौटा, पंजाब के लुड्‌डी, तथा गुजरात के तलवार रास व राठवा नृत्यों का महासंगम दर्शकों के दिलों को झंकृत किया। दिल्ली के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर सुशील शर्मा के निर्देशन में तैयार इस विशेष प्रस्तुती में मंच पर देशभर की संस्कृतियों का अनूठा संगम देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

कथक-लावणी का फोक-क्लसिकल फ्यूजन छाया-

समारोह में श्रद्धा सतवीडकर के मराठी लावणी लोक नृत्य के साथ नितिन कुमार के भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक की खूबसूरत सिंफनी में क्लासिकल और फोक का अनूठा संगम देख दर्शकों ने तालियों से शिल्पग्राम गूंजा दिया। डांसर्स के कॉस्टयूम्स व लयकारी को देख दर्शक कई मर्तबा वाह-वाह कर उठे।

लोक गीतों के मेडले ने मन माेहा-

समारोह में डॉ. प्रेम भंडारी के निर्देशन में राजस्थानी लोक गीतों पर आधारित कर्णप्रिय मेडले की प्रस्तुती ने श्रोताओं के दिल के तारों तक सुरों की झंकार पहुंचाने में सफलता पाई। इस प्रस्तुती की खास बात यह रही कि इसमें लोक गायन की मूल शैली को बरकरार रखते हुए इसे क्लासिकल टच दिया गया, जिसे संगीत प्रेमी श्रोताओं ने खूब सराहा।

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