हिंदी रंगमंच को चुनौतियों से आजाद करने की जताई कटिबद्धता,उदयपुर नाट्य रंग महोत्सव-2024 का समापन

हिंदी रंगमंच को चुनौतियों से आजाद करने की जताई कटिबद्धता,उदयपुर नाट्य रंग महोत्सव-2024 का समापन
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उदयपुर, । राजस्थान साहित्य अकादमी सभागार में आयोजित उदयपुर नाट्य रंग महोत्सव- 2024 का समापन रविवार को हुआ। अंतिम दिन के रंग संवाद में रंगकर्मियों ने हिन्दी रंगमंच को चुनौतियों से आजाद कराने के लिए अहर्निश प्रयासों की कटिबद्धता जताई।

मुख्य अतिथि श्री दिनेश कोठारी, वरिष्ठ चित्रकार एवं रंगकर्मी श्री शैल चोयल, नाट्य निर्देशक अभिषेक गोस्वामी, वरिष्ठ साहित्यकार, नाटयलेखक व पत्रकार, श्री हरीश बी शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार श्री कुंदन माली एवं टीम नाट्य संस्था के सदस्यों ने दीप प्रज्ज्वलन कर अंतिम दिन के रंग संवाद की शुरुआत की। तत्पश्चात उपस्थित सभी वरिष्ठ जनों ने अपनी रंग यात्रा के अनुभव और हिन्दी रंगमंच की चुनौतियों पर विचारों व्यक्त किए। नाट्य निर्देशक अभिषेक गोस्वामी ने अपने वक्तव्य में बताया कि कैसे युवाओं ने रंगमंच को बस मुंबई जाकर फिल्मों में काम करने का एक माध्यम समझ रखा है। इससे इस विद्या की अभिव्यक्ति खतरे में है। जो कुछ नाटककार निरन्तर रंगमंच कर रहे हैं वे केवल बड़े नाट्य फेस्टिवल में प्रदर्शन करना लक्ष्य समझते हैं जिसके चलते नाट्य प्रदर्शनों में गिरावट देखी जा रही है।

मुख्य वक्ता श्री शैल चोयल ने कहा कि हर कलाकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, उसे और उसकी कला को प्रोत्साहन नहीं मिलता जिसके चलते उसकी रचनात्मकता पर काफी असर पड़ता है। स्कूल एवं कॉलेज में रंगमंचीय पाठ्यक्रम नहीं होने से बच्चों में इस विद्या के बारे में जानकारी का अभाव भी हिंदी रंगमंच के पिछड़ने का बड़ा कारण है।

श्री हरीश बी शर्मा ने नाटककारों और नाट्यलेखकों के बीच आपसी सामंजस्य और नाट्यरचनाओं के आदान-प्रदान पर बल दिया। साथ ही इसके लिए साहित्य अकादमी और सरकार स्तर पर प्रभावी प्रयासों की पैरवी की। राजस्थान साहित्य अकादमी सचिव श्री बसंत सोलंकी ने इसे स्वीकारते हुए इस तरह की गतिविधि को बढ़ाने के लिए आश्वस्त किया। अंत में वरिष्ठ साहित्यकार श्री कुंदनजी माली ने राजनीतिक प्रभावों को भी एक महत्वपूर्ण कारण बताते हुए कहा कि सरकार, मीडिया को भी आगे आकर इस कला को नई पहचान दिलाने के लिए नए प्रयास करने होंगे क्योंकि पुरस्कार, पैसों और प्रोत्साहन की कमी के चलते कलाकार इस विद्या से पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। कलाकारों को कलात्मक क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हो जिससे वे उन्मुक्त भाव से इस रचनात्मक विद्या को जारी रख सकें।

रंग संवाद का मंच संचालन अमृता तोडरवाल ने किया। अंत में टीम नाट्य संस्था के सचिव श्री सुनील टांक ने संस्था के सह संस्थापक श्री शैलेन्द्र शर्मा को अपनी प्रेरणा बताते हुए उनके प्रति विशेष आभार प्रकट किया। संस्था के संस्थापक स्व. रिज़वान जाहिर उस्मान को याद करते हुए उनके नाट्यकर्म के प्रति लगाव, संघर्षों और प्रयासों को रेखांकित किया। साथ ही संस्था एवं रंगमंच को नई बुलंदियों पर ले जाना अपना लक्ष्य बताया। रंग संवाद में पधारे अतिथियों एवं मुख्य वक्ताओं को सम्मान स्मृति चिन्ह देकर इस रंग संवाद का समापन किया गया।

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