सुविवि में भुस्थानिकी प्रौद्योगिकी के उपयोग पर 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

उदयपुर, । इसरो के राष्ट्रीय दूरसंवेदन केन्द्र, हैदराबाद के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि भूस्थानिकी प्रौद्योगिकी का उपयोग मानव जीवन की हर गतिविधि में शामिल है। किसी क्षेत्र के भौतिक स्वरूप, वहाँ भूमि, जल, जैव, सौर ऊर्जा की उपलब्धता, विकास कार्यों से सही व विशस्त मूल्यांकन भूस्थानिकी प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया जा सकता है। डॉ. चौहान मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वाधान में भूस्थानिकी प्रौद्योगिकी के उपयोग पर आयोजित हो रहे 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।

डॉ. चौहान ने बताया कि भारत सरकार द्वारा घोषित “भूस्थानिकी प्रौद्योगिकी नीति 2023“ ने इस प्रौद्योगिकी को आम जन द्वारा उपयोग किये जाने का रास्ता खोल दिया गया है। पहले भूस्थानिकी आंकड़ों के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध था जिसके कारण इनका उपयोग नहीं हो रहा था।

डॉ. चौहान ने आगे कहा कि व्यापक भौगोलिक क्षेत्र वाले भारत वर्ष में आज वार्षिक विकास दर लगभग 7 प्रतिशत है। तीव्र गति से हो रहे विकास कार्यों से तीव्र परिवर्तन हो रहे है। ऐसे में समय पर आवश्यकतानुसार संसाधनो की उपलब्धता, उपभोग और आवश्यकता के मूल्यांकन के लिये भूस्थानिकी आंकड़े ही सबसे विश्वस्त व उपयोगी स्त्रोत है। डॉ. चौहान ने बताया कि आज सौर ऊर्जा, आयकर विभाग द्वारा कृषि आय, प्राकृतिक आपदाओं से हुये नुकसान इत्यादि के मूल्यांकन के लिये ये प्रौद्योगिकी बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है।

इस प्रशिक्षण कार्य के उद्घाटन के अवसर पर भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी डिवीजन की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शुभा पाण्डेय ने कहा कि भारत सरकार कृत संकल्प है कि भूस्थानिकी प्रौद्योगिकी का उपयोग आमजन के जीवन का हिस्सा बन जाये। सुविवि के भूगोल विभाग की अध्यक्ष एवं प्रशिक्षण कार्य की आयोजिका प्रोफेसर सीमा जालान ने बताया कि 21 दिवसीय प्रशिक्षण में 5 राज्यों से सरकारी कार्मिक, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से शिक्षक भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षणार्थियों को जी.पी.एस., लिडार, मशीन लर्निंग, इन्टरनेट लर्निंग आफ थिंगस, ड्रोन सर्वेक्षण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं डेटा साईन्स इत्यादि पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।

समारोह की अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय की सह अधिष्ठाता प्रोफेसर दिग्विजय भटनागर द्वारा की गयी। इससे पूर्व भूगोल विभाग में नवस्थाजित “भूस्थानिकी प्रौद्योगिकी कौशल केन्द्र एवं उद्यमिता प्रकोष्ठ का उद्घाटन किया गया।

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